चीनी सेना में हिंदी जानने वालों की भर्ती ! पश्चिमी प्रशांत में चीनी विमान वाहक पोत कर रहे युद्धाभ्यास, क्या है राज ?

Edited By Tanuja,Updated: 04 May, 2022 04:19 PM

china aircraft carrier on combat training in western pacific

चीन ने दुनिया पर राज करने की महत्वकांशा को पूरा करने के लिए अपनी गतिविधियों को और आक्रामक और तेज कर दिया है। एक तरफ चीन की नौसेना...

बीजिंगः  चीन ने दुनिया पर राज करने की महत्वकांशा को पूरा करने के लिए अपनी गतिविधियों को और आक्रामक और तेज कर दिया है। एक तरफ चीन की नौसेना के  लियाओनिंग विमान वाहक पोत के बेड़े ने पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ‘‘वास्तविक लड़ाकू'' प्रशिक्षण मिशन शुरू किया है तो  दूसरी तरफ चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ऐसे ग्रैजुएट युवाओं की भर्ती कर रही है, जो हिंदी जानते हों।

 

चीनी नौसेना ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर बताया कि यह एक सामान्य मिशन है जिसमें सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और कायदों का पालन किया जा रहा है और इसका निशाना कोई तीसरा पक्ष नहीं है। हालांकि ऐसे समय जब बीजिंग एशिया में प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में अमेरिका को पीछे छोड़ना चाहता है तब यह मिशन चीन की नौसैन्य ताकतों की बढ़ती भूमिका जरूर रेखांकित करता है। जलपोतों की संख्या के मामले में चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है जबकि विमान वाहक पोतों, परमाणु पनडुब्बियों और क्षेत्र में सैन्य ठिकानों तथा सहयोगियों के मामले में अमेरिका को चीन पर बढ़त हासिल है।

 

प्रतिस्पर्धा रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण चीन सागर पर केंद्रित है। लियाओनिंग को मूल रूप से यूक्रेन से ‘हल्क' के रूप में खरीदा गया था और फिर इसमें अनेक परिवर्तन किए गए। इसके बाद चीन ने अपने बेड़े में दूसरा पूर्ण रूप से स्वदेश निर्मित विमान वाहक ‘शेनडांग' जोड़ा। उधर,  माना जा रहा है कि भारत के संबंध में इंटेलिजेंस जुटाने और वास्तविक सीमा रेखा के आसपास के बारे में सूचनाएं हासिल करने के लिए चीन की सेना ऐसा कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वेस्टर्न थिएटर कमांड के तहत आने वाले तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट ने इस साल जून में इस भर्ती की शुरुआत की थी।

 

चीनी सेना की वेस्टर्न थिएटर कमांड ही भारत से लगती सीमा की सुरक्षा का काम देखती है। तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट एलएसी के निचले हिस्से पर सुरक्षा का काम देखती है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और उत्तराखंड से लगती है।हालांकि भारत भी चीनी रणनीति के काउंटर की तैयारी में है। पिछले दिनों भारतीय सेना ने अपने जवानों के लिए तिब्बतोलॉजी का कोर्स शुरू किया था। यही नहीं अब चीन की मंदारिन भाषा को सीखने का कोर्स भी इंडियन आर्मी ने शुरू किया है। हाल ही में भारतीय सेना की त्रिशक्ति कॉर्प्स ने ट्वीट किया था कि तिब्बतोलॉजी कोर्स का पहला बैच सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इसके साथ ही सेना ने कैप्शन में लिखा था, 'भाषा संस्कृति के लिए एक रोड मैप है।'

 

इसके अलावा लद्दाख की निगरानी करने वाली शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट भी इसी कमांड के मातहत काम करती है। इंटेलिजेंस इनपुट्स में बताया गया है कि तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट ने चीन के कई कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में विजिट की है। इस दौरान छात्रों से बताया गया कि उनका हिंदी के अनुवादक के तौर पर चीनी सेना में कैसे भविष्य हो सकता है। यही नहीं पिछले कुछ महीनों में पीएलए ने बड़ी संख्या में ऐसे तिब्बती लोगों को भर्ती किया है, जो हिंदी बोल सकते हैं। इन लोगों की तैनाती भारत से लगती उत्तरी सीमाओं पर की जा रही है।  

 

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