Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Oct, 2019 08:31 AM
समुद्र किनारे बसे इस प्राचीन शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भव्य स्वागत की तैयारियां हो रही हैं, वहीं चीन ने कहा है कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए किसी तरह का खतरा नहीं हैं तथा दोनों एशियाई देशों के बीच वृहद सहयोग से क्षेत्र में और इससे परे...
बीजिंग: समुद्र किनारे बसे इस प्राचीन शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भव्य स्वागत की तैयारियां हो रही हैं, वहीं चीन ने कहा है कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए किसी तरह का खतरा नहीं हैं तथा दोनों एशियाई देशों के बीच वृहद सहयोग से क्षेत्र में और इससे परे शांति और स्थिरता लाने में सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी। चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने विशेष साक्षात्कार में कहा कि शुक्रवार से शुरू हो रही दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्ता से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विकास की दिशा पर दिशानिर्देशक सिद्धांत समेत नई आम-सहमतियां उभर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देश, चीन और भारत की इस जटिल दुनिया में सकारात्मक ऊर्जा भरने की जिम्मेदारी है। सुन ने कहा कि हमारा विश्वास है कि शिखर वार्ता द्विपक्षीय संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाएगी और क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति, स्थिरता एवं विकास पर इसका बड़ा और सकारात्मक असर पड़ेगा। शी करीब 24 घंटे की यात्रा के लिए शुक्रवार को चेन्नई पहुचेंगे।
दक्षिण एशिया को साधने में जुटा ड्रैगन
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्रा डायरी पर नजर दौड़ाएं तो साफ हो जाता है कि ड्रैगन की नजर दक्षिण एशियाई मुल्कों को साधने पर टिकी है। खासकर भारत, पाकिस्तान और नेपाल पर उनकी गहरी नजर है। उनकी इस यात्रा का मकसद जहां चीनी व्यापारिक हितों को साधना है, वहीं दक्षिण एशिया में अपनी सामरिक स्थिति और मजबूत करना है। भारत को चीनी रणनीति को समझना होगा। भारत को अपने खिलाफ बने चीन-नेपाल-पाकिस्तान गठजोड़ की काट ढूंढनी होगी, जो दक्षिण एशिया में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।