मोदी की सत्ता में वापसी चाहता है चालबाज चीन, जानें क्यों?

Edited By Tanuja,Updated: 20 May, 2019 02:14 PM

china eyes on india s election result is dragon wants modi back

भारत के चुनाव नतीजों पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। खासकर पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन की। डोकलाम विवाद व अरुणांचल प्रदेश ...

बीजिंगः भारत के चुनाव नतीजों पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। खासकर पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन की। डोकलाम विवाद व अरुणांचल प्रदेश मुद्दे के अलावा आतंकी मसूद अजहर को लेकर चीन के रवैये के कारण ड्रैगन और भारत के बीच बार-बार तनाव बढ़ता रहा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में चीन के साथ एक दूरी बनाकर उसे भारत के करीब लाने की कोशिश करते रहे। 
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चीनी निवेश को लुभाने के लिए जहां वह एक तरफ बार-बार चीन का दौरा करते रहे, वहीं दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूएस से सुरक्षा वार्ता भी करते रहे। अब बड़ा सवाल यह है कि आखि चीन के मीडिया में नमो-नमो का जाप क्यों किया जा रहा है और ड्रैगन मोदी की जीत चाहता है या हार। और अगर वो सत्ता में नरेंद्र मोदी की वापसी चाहता है तो क्यों ? 'चाइनीज एसोसिएशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज' के शोधकर्ता कियान फेंग ने चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में कहा, अगर मोदी जीतते हैं तो चीन-भारत के साथ रिश्ते सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे इसलिए चीन सत्ता की वापसी चहेगा।
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कियान ने आगे कहा, अगर मोदी चुनाव नहीं जीतते हैं और कांग्रेस सत्ता में आती है तो भी चीन के साथ भारत के रिश्तों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। चीन के साथ अच्छे संबंध भारत के राष्ट्रीय हित में है। कियान फेंग ने आगे कहा कि चुनाव में मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में भले ही भारतीय नेता चीन पर आक्रामक और नकारात्मक बयान दे रहे हों लेकिन जब वे सत्ता में आएंगे तो इन शब्दों का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। देश की बागडोर संभालते ही वे वही करते हैं जो राष्ट्रीय हित में होता है इसलिए वे किसी भी बेवकूफी भरे फैसले की तरफ आगे नहीं बढ़ेंगे। चीन के अधिकतर अखबारों में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को लेकर आशंकाएं कम और उम्मीद ज्यादा जताई गई है।
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ग्लोबल टाइम्स लिखता है, अगर मोदी दोबारा चुनाव जीतते हैं तो वह राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता में रखते हुए चाइना कार्ड खेलने से बचेंगे। बीजिंग भारत के किसी बड़े हित को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है इसलिए चीन-भारत के रिश्ते में कोई बड़ी बाधा नहीं आएगी। ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के मुद्दे पर भारत-चीन के मतभेद का भी उल्लेख किया। अखबार के मुताबिक, पश्चिमी मीडिया में अपने एजेंडे के तहत मसूद अजहर के वैश्विक आतंकी घोषित होने के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया क्योंकि यूएस व अन्य पश्चिमी देश भारत-चीन के मित्रतापूर्ण रिश्ते नहीं देखना चाहते हैं।

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