Edited By Tanuja,Updated: 17 May, 2021 11:39 AM
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच लगातार तालिबान के हमले बढ़ रहे हैं। पिछले 3 हफ्तों में तालिबान के अफगानिस्तान में कई घातक ...
बीजिंग: अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच लगातार तालिबान के हमले बढ़ रहे हैं। पिछले 3 हफ्तों में तालिबान के अफगानिस्तान में कई घातक हमलों में कई लोग मारे जा चुके हैं जिससे एशियाई देशों की टेंशन बढ़ गई है। अमेरिकी सैनिकों की अफगान से वापसी से चीन ने भी टेंशन बढ़ा दी है। चीन को डर है कि अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी के बाद अफगानिस्तान में फिर से आतंकवाद भड़क सकता है जिसका असर उसकी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) परियोजना पर पड़ सकता है। इसलिए चीन ने मध्य एशियाई देशों से सुरक्षा को लेकर सहयोग बढ़ाने का अनुरोध किया है।
साउथ चाइना मार्निग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार जैसे-जैसे सैनिकों की पूर्ण वापसी की तारीख 11 सितंबर नजदीक आ रही है चीन की चिंता बढ़ती जा रही है। उसे लग रहा है कि अफगानिस्तान में अस्थिरता का असर उसके शिनजियांग प्रांत में भी पड़ सकता है और कट्टरपंथी ताकतें सिर उठा सकती हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मध्य एशिया के विदेश मंत्रियों से कहा है कि उन्हें आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए मिलकर काम करना चाहिए ताकि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर कोई खतरा न आए।
इससे पहले पाकिस्तान ने कहा था कि वह अपने देश की जमीन पर अमेरिका या किसी भी अन्य विदेशी सेना का अड्डा नहीं बनने देगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अफगानिस्तान में आतंकी सगठनों के कब्जे की आशंका में पड़ोसी देशों में सैन्य अड्डा बनाने की संभावना तलाश कर रहे हैं। अमेरिका का मकसद अफगानिस्तान पर निगाह रखना है।