1967 में भारत से मिले सबक को भूला नहीं है चीन, 'अटल जी' ने छोड़ा था भेड़ों का झुंड

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jun, 2017 01:33 PM

china has not forgotten lessons learned from india in 1967

भारत और चीन के बीच सिक्किम क्षेत्र में बढ़ती तनातनी कम नहीं हुई है, वैसे चीन और भारत के बीच कभी रिश्ते सहज नहीं हुए हैं।

नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच सिक्किम क्षेत्र में बढ़ती तनातनी कम नहीं हुई है, वैसे चीन और भारत के बीच कभी रिश्ते सहज नहीं हुए हैं। हाल ही में सिक्किम इलाके में जिस तरह से भारतीय जवानों ने घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिकों को जवाब दिया उसके बाद चीन में बौखलाहट है। चीन का चिढ़चिढ़ाहट इस बात से साफ झलक रही है जब उसने एक लेख में भारत को 1962 की जंग से सबक लेने को कहा। हालांकि चीन खुद यह भूल गया कि उस एक हार का बदला भारत ने एक नहीं बल्कि दो बार लिया और चीनी सैनिकों को बुरी तरह से परास्त किया।

क्या हुआ था 1967 में
1962 की घटना को भारत-चीन रणनीतिक एवं राजनयिक रिश्ते में एक बड़े प्रस्थान बिंदु के तौर पर देखा जाता है, पर वर्ष 1967 को ऐसे साल के तौर पर याद किया जाता रहेगा जब हमारे सैनिकों ने चीनी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देते हुए सैकड़ों चीनी सैनिकों को न सिर्फ मार गिराया था, बल्कि उनके कई बंकरों को ध्वस्त कर दिया था। रणनीतिक स्थिति वाले नाथु ला दर्रे में हुई उस भिड़ंत की कहानी हमारे सैनिकों की जांबाजी की मिसाल है। 14,200 फीट पर स्थित नाथु ला दर्रा तिब्बत-सिक्किम सीमा पर है, जिससे होकर पुराना गैंगटोक-यातुंग-ल्हासा व्यापार मार्ग गुजरता है। यूं तो सिक्किम-तिब्बत सीमा निर्धारण स्पष्ट ढंग से किया जा चुका है, पर चीन ने कभी भी सिक्किम को भारत का हिस्सा नहीं माना।

1965 के भारत-पाक युद्घ के दौरान चीन ने भारत को नाथु ला एवं जेलेप ला दर्रे खाली करने को कहा। भारत के 17 माउंटेन डिविजन ने जेलेप ला को तो खाली कर दिया, लेकिन नाथु ला पर भारत का आधिपत्य जारी रहा। आज भी जेलेप ला चीन के कब्जे में है। चीन की इन हरकतों को रोकने के लिए 1967 में नाथुला पास पर तैनात मेजर जनरल सगत राय की अगुवाई में कंटीली बाड़ लगाने का फैसला किया। कंटीली बाड़ को लेकर पहले जुबानी झड़प  हुई इसके बाद चीन ने बाड़ लगा रही भारतीय सेना पर हमला कर दिया। बाड़ लगाने में जुटे इंजीनिरिंग यूनिट समेत भारतीय सेना के 67 शहीद हो गए।


इसके बाद भारत की ओर से जो जवाबी हमला हुआ उसने चीन का इरादा चकनाचूर कर दिया। सेबू ला एवं कैमल्स बैक से अपनी मजबूत रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाते हुए भारत ने जमकर आर्टिलरी पावर का प्रदर्शन किया। कई चीनी बंकर ध्वस्त हो गए और खुद चीनी आकलन के अनुसार भारतीय सैनिकों के हाथों उनके 400 से अधिक सैनिक मारे गए। भारत की ओर से लगातार तीन दिनों तक दिन-रात फायरिंग जारी रही। चीन को सबक सिखाया जा चुका था।

14 सितंबर को चीनियों ने धमकी दी कि अगर भारत की ओर से फायरिंग बंद नहीं हुई तो वह हवाई हमला करेगा, तब तक चीन को सबक मिल चुका था और फायरिंग रुक गई। रात में चीनी सैनिक अपने मारे गए साथियों की लाशें उठाकर ले गए और भारत पर सीमा का उल्लंघन करने का आरोप गढ़ा गया। 15 सितंबर को ले. ज. जगजीत अरोरा एवं ले. ज. सैम मानेकशॉ समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में शवों की अदला-बदली हुई। 1967 की इस लड़ाई में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के लिए नाथुलापास पर अमर जवान स्मारक बनाया गया है। वहीं, पिछले साल चोला पास  पर इस लड़ाई के शहीदों  की याद पर चोला विजय स्मारक  भी बनाया गया है।

दूसरा मामला
1 अक्तूबर 1967 को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने चाओ ला इलाके में फिर से भारत के सब्र की परीक्षा लेने का दुस्साहस किया, पर वहां मुस्तैद 7/11 गोरखा राइफल्स एवं 10 जैक राइफल्स नामक भारतीय बटालियनों ने इस दुस्साहस को नाकाम कर चीन को फिर से सबक सिखाया। यहां भारत और चीन की पोस्ट के बीच की दूरी महज 700 फुट है। ये दोनों सबक चीन को आज तक सीमा पर गोली बरसाने से रोकते हैं। तब से आज तक एक भी गोली सीमा पर नहीं चली है।

जब अटल जी ने छोड़ा भेड़ों का झुंड
जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो उस दौरान एक चीनी ने शिकायत की कि
बॉर्डर के पास उसके भेड़ों के झुंड में से भेड़ को चुरा लिया है। अटल जी इस शिकायत पर
शांतिपथ में मौजूद चीनी एम्बेसी पर एक भेड़ के बदले भेड़ों का पूरा झुंड छोड़ दिया था।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!