Edited By Tanuja,Updated: 10 Apr, 2021 02:01 PM
फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट (FBM) के प्रमुख हिर्बीयार मारी ने चीन और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर हुए एक बड़े समझौते को लेकर भारत को आगाह किया है...
इंटरनेशनल डेस्कः फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट (FBM) के प्रमुख हिर्बीयार मारी ने चीन और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर हुए एक बड़े समझौते को लेकर भारत को आगाह किया है। बलोच अलगाववादी समूह ने चीन और ईरान के बीच हुए 25 साल के बड़े समझौते पर कहा है कि यह समझौता भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है और भारत-ईरान का समझौता खतरे में पड़ सकता है। इससे भारत का निवेश बेकार जा सकता है। FBM के प्रमुख हिर्बीयार मारी ने चीन-ईरान के बीच हुए इस समझौते की निंदा करते हुए कहा है कि इस समझौते से चीन ईरानी व्यापार के सभी क्षेत्रों पर कब्जा कर लेगा।
हिर्बीयार मारी ने कहा कि होरमुज जलडमरू से लेकर इराक की सीमा तक के प्राकृतिक संपदा से संपन्न इलाके पर चीन की खास नजर है। इस इलाके में करीब एक करोड़ लोग बसे हैं। चीन इन्हें हटाकर उस जगह पर कब्जा करना चाहता है और वहां जमीन के नीचे मौजूद खनिज संपदा पर कब्जा करना चाहता है। यह तेल और प्राकृतिक गैस के लिहाज से दुनिया का दूसरे नंबर का संपन्न इलाका है। चीन ने बलूचिस्तान को लेकर ऐसा ही समझौता पाकिस्तान के साथ किया है और उसके ग्वादर बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है।
हिर्बीयार मारी ने कहा कि इस समझौते से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के बंदरगाह भी चीन के कब्जे में चले जाएंगे। इनमें होरमुज जलडमरू मध्य का वह महत्वपूर्ण समुद्री इलाका भी होगा, जहां से दुनिया भर के तेल टैंकर खाड़ी में प्रवेश करते हैं और बाहर आते हैं। चीन ने ईरान में 400 अरब डॉलर (करीब 30 लाख करोड़ रुपये) के निवेश का समझौता किया है। यह निवेश 25 साल में होगा। बदले में चीन को ईरान से बहुत सस्ती दर पर तेल और ईरान से सभी क्षेत्रों में व्यापार का मौका मिलेगा। इस समझौते के तहत चीन को बलूचिस्तान के बंदरगाहों में काम करने का मौका मिलेगा। इसके अतिरिक्त चीन को कई द्वीप पट्टे पर मिलेंगे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूखंडों का भी कब्जा मिलेगा।