Edited By Tanuja,Updated: 13 May, 2018 04:09 PM
चीन ने एक बार फिर भारत समेत हिंद महासागर के तटीय देशों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। चीन ने अपना पहला स्वदेशी स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर रविवार को दक्षिण चीन सागर में परीक्षण के लिए उतार दिया
पेइचिंगः चीन ने एक बार फिर भारत समेत हिंद महासागर के तटीय देशों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। चीन ने अपना पहला स्वदेशी स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर रविवार को दक्षिण चीन सागर में परीक्षण के लिए उतार दिया। चीन के सरकारी मीडिया ने एक संक्षिप्त रिपोर्ट में बताया कि पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया एयरक्राफ्ट कैरियर रविवार सुबह समुद्र में रवाना हो गया, जहां इसको परखा जाएगा।
चीन ने अप्रैल को 2017 में दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर लॉन्च किया था। इससे पहले उसने 2012 में पहले एयरक्राफ्ट कैरियर लिआओनिंग को अपनी नौसेना में शामिल किया था। यह सोवियत संघ में बना है जिसको दुरूस्त करके शामिल किया गया था। लिआओनिंग अभी सेवा में है लेकिन इसका इस्तेमाल अधिकतर उन नए एयरक्राफ्ट कैरियर्स के रिसर्च और उनमें सुधारों के लिए होता है, जिनका निर्माण करने का चीन इरादा रखता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन शंघाई में अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है। देश ने विवादित दक्षिण चीन सागर के साथ-साथ हिंद महासागर से संचालित होने के लिए 2030 तक 4 एयरक्राफ्ट कैरियर की योजना बनाई है। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि चीन परमाणु विमान वाहक पोत बनाने की भी योजना बना रहा है। चीनी नौसेना ने एक बयान में कहा कि एयरक्राफ्ट के ट्रायल का लक्ष्य उसकी विश्वसनीयता और क्षमता को परखना है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर 50,000 मेट्रिक टन वजनी है। अभी तक इसे कोई नाम नहीं दिया गया है।
चीन के इस नए एयरक्राफ्ट कैरियर पर 12,000 से ज्यादा उपकरण फिट हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन उपकरणों को चीन की 532 फर्मों ने बनाया है जिनमें से कई निजी फर्म हैं। इस एयरक्राफ्ट कैरियर में 3,600 से ज्यादा केबिन हैं। देशभर के करीब 3,000 वर्कर इस एयरक्राफ्ट पर डेली बेसिस पर काम कर रहे थे। बता दें कि दुनिया के कुछ ही देशों के पास एयरक्राफ्ट कैरियर्स हैं। सबसे ज्यादा 11 एयरक्राफ्ट कैरियर अमरीका के पास है और सारे के सारे परमाणु क्षमता से लैस हैं। इसके अलावा भारत, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और थाइलैंड के पास ही एयरक्राफ्ट कैरियर हैं।