Edited By Tanuja,Updated: 31 Mar, 2022 02:34 PM
इन दिनों चीनी विदेश मंत्री को लेकर ''बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले'' लाइन खूब इस्तेमाल की जा रही है। चीनी विदेश मंत्री वांग बड़ी...
इंटरनेशनल डेस्कः इन दिनों चीनी विदेश मंत्री को लेकर 'बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले' लाइन खूब इस्तेमाल की जा रही है। चीनी विदेश मंत्री वांग बड़ी उम्मीदें लेकर भारत और नेपाल के दौरे पर आए लेकिन दोनों ही देशों से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा है। भारत ने जहां चीनी विदेश मंत्री को ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया, वहीं नेपाल ने भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्ट कहे जाने वाले बेल्ट एंड रोड को लेकर ठेंगा दिखा दिया है। यही नहीं चीनी विदेश मंत्री ने एमसीसी प्रॉजेक्ट को नेपाली संसद में पेश किए जाने पर भी अपनी खीझ दिखाई और अमेरिका के बढ़ते प्रभाव पर नाराजगी जताई।
चीन के भारी विरोध के बाद भी नेपाल की देउबा सरकार की ओर से अमेरिका के प्रॉजेक्ट को नेपाली संसद में पेश किया गया था। नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट के मुताबिक चीनी विदेश मंत्री ने नेपाल के वामपंथी दलों के साथ मुलाकात के दौरान बीआरआई को लागू करने पर बहुत जोर दिया। उन्होंने अमेरिका के एमसीसी प्रॉजेक्ट के मुद्दे को भी वामदलों के साथ कड़ाई के साथ उठाया और अमेरिका के बढ़ते दखल पर नाराजगी जताई। चीन ने एक तरफ जहां बीआरआई पर जोर दिया वहीं नेपाली वामदलों ने सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने और नेपाली छात्रों के मुद्दे पर जोर दिया जिसे ड्रैगन ने लंबे समय से रोक रखा है।
नेपाल को चीन के मेगा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में जाना जाता था, फिर भी हिमालयी राज्य में इसके लाभों और फंडिंग से जुड़ी चुनौतियों के बारे में स्पष्टता की कमी के कारण परियोजनाओं का कार्यान्वयन धीमा रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी की हाल की नेपाल यात्रा (25-27 मार्च) के दौरान, दोनों देशों ने नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए, लेकिन उनमें से कोई भी बीआरआई से संबंधित नहीं था। पता चला है कि कुछ भ्रम और नेपाल के बातचीत पर जोर देने के कारण वांग की यात्रा के दौरान कथित तौर पर BRI योजनाओं पर चर्चा नहीं की गई ।
नेपाल के नीति निर्माताओं में BRI को लेकर आशंका है, जिसमें इसके जरिए चीन के रणनीतिक डिजाइन और कर्ज के जाल में फंसने की उसकी क्षमता शामिल है।BRI के क्रियान्वयन के मुद्दे पर नेपाल के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में चुप्पी साधी गई है। चीन और नेपाल के बीच साल 2017 में बीआरआई समझौता हुआ था लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। नेपाल सरकार ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और वांग यी के बीच मुलाकात के बाद कोई विस्तृत बयान नहीं जारी किया है।