डोकलाम से पीछे हटना चीन की चाल, रणनीति आई सामने !

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Aug, 2017 02:00 PM

china s biggest strategy behind surrender

डोकलाम विवाद पर चीन के सभी दबावों को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन को सरहद पर सड़क बनाने से रोकने में सफल रहे ...

बीजिंग: डोकलाम विवाद पर चीन के सभी दबावों को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन को सरहद पर सड़क बनाने से रोकने में सफल रहे। इस पूरे विवाद के दौरान एक तरफ बीजिंग में लगातार कूटनीतिक कोशिशें की जा रही थीं, तो दूसरी तरफ भारत और चीन सीमा पर भारतीय सेना और पीएलए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कम से कम पांच जगहों पर आमने-सामने खड़ी थीं।  फिर अचानक बड़े नाटकीय तरीके से ड्रैगन ने आसानी से यू- टर्न लिया और डोकलाम मुद्दे पर पीछे हट गया।  

इस बात को लेकर विदेश मामलों के जानकार भी उलझे हुए हैं कि चीन ने एेसा क्यों किया। हालांकि दोनों देशों की मीडिया इसको अपने-अपने देश की कूटनीतिक जीत बता रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि चीन ने खास रणनीति के तहत डोकलाम विवाद को टाला है। दरअसल, 3 सितंबर से चीन के फुजिआन प्रांत के शिआमेन में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका) समिट शुरू होने जा रहा है जिसमें हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चीन जा रहे हैं। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को टक्कर देने के लिए बनाए गए इस संगठन में चीन का प्रभुत्व है।
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इस बार चीन इसकी मेजबानी कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि उसने इस समिट में मिस्र, केन्या, ताजिकिस्तान, मैक्सिको और थाईलैंड को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है।  समिट से ठीक पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन और भारत के बीच व्यापक सहयोग है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत और चीन सही रास्ते पर हैं। अचानक चीनी अखबार की बदली भाषा वाकई हैरान करने वाली है।

ब्रिक्स को लेकर चीन का कहना है कि इससे पश्चिमी देशों पर निर्भरता कम होगी और सदस्य देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक सहयोग बढ़ेगा।अब चीन का सबसे बड़ा मकसद युआन (चीनी करेंसी) को ब्रिक्स की आधिकारिक मुद्रा घोषित कराना है। ऐसे में उनको आशंका है कि भारत उसकी इस योजना में खलल पैदा कर सकता है।इसकी वजह यह है कि अगर युआन को ब्रिक्स की आधिकारिक मुद्रा घोषित कर दिया गया, तो सभी सदस्य देशों की उस पर निर्भरता बढ़ जाएगी। इसका सीधा फायदा चीन को होगा।

लिहाजा वह इस समिट से पहले हरहाल में भारत से तनाव को टालना चाह रहा था। चीन वन बेल्ट वन रोड परियजोना में भारत के बहिष्कार का खामियाजा भुगत चुका है।ऐसे में ड्रैगन इस समिट को लेकर बेहद सतर्कता बरत रहा है। चीन को पता है कि हाल के दिनों में भारत और अमेरिका के बीच करीबी बढ़ी है। वहीं, चीन और अमेरिका के बीच तनाव गहराया है। अमरीका ने कई चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध भी लगा दिया है।ऐसे में चीन के पास डोकलाम विवाद को टालने के सिवाय कोई विकल्प नहीं था।

  

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