Edited By Tanuja,Updated: 28 Jun, 2020 03:56 PM
अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में अमेरिका-चीन तनाव को लेेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। न्यूयॉर्क टाइम्स...
वॉशिंगटनः अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में अमेरिका-चीन तनाव को लेेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका और चीन के बीच सैन्य संघर्ष तय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की आक्रामकता व विस्तारवादी नीति भविष्य में एक नए खतरे की घंटी है। अगर चीन का यही रुख रहा तो भविष्य में अमेरिका और चीन के बीच टकराव तय है।जिस तरह से चीन ने हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर तक आक्रामक तरीके से दावेदारी पेश की है, उससे लगता है कि चीन संघर्ष करने के पूरे मूड में है।
रणनीतिकारों की नजर में इसका एक बड़ा उदाहरण यह भी है कि जब अमेरिका समेत पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, चीन ने पड़ोसी देशों के साथ कई सैन्य मोर्चे खोल दिए हैं। वह पड़ोसियों के साथ सीमा का अतिक्रमण कर रहा है। इस अतिक्रमण में बीजिंग अपने सैन्य ताकत का इस्तेमाल कर रहा है। चीन के इस इरादे ने पूरे एशिया और वाशिंगटन में एक नए संकट की घंटी बजा दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैनिकों के साथ बढ़ रहे विवाद के एक हफ्ते के भीतर जापान के निकट अपनी पनडुब्बी तैनात कर दी। इसी बीच चीन के बमवर्षक विमान ताइवान के क्षेत्रीय हवाई क्षेत्र में गरज रहे थे। चीन ने एक साथ तीन मोर्चें पर अपनी सैन्य मोर्चों को खोल दिया। ऐसा करके चीन ने अपना इरादा साफ कर दिया।
खास बात यह है कि दक्षिण चीन सागर में चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने भी इस क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं। अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर के माध्यम से अमेरिकी युद्धपोतों को ताइवान की ओर रवाना किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की चीन ने शीर्ष राजनयिक यांग जीची से मिलने के बाद अमेरिका ने ताइवान को सैन्य मुद्दों के लिए समर्थन बढ़ाया है। उधर, चीन ने इस क्षेत्र में तनाव के लिए संयुक्त राज्य को दोषी ठहराया है। चीन ने अमेरिकी सेना पर नियमित रूप से उस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया, जहां उसके कोई क्षेत्रीय दावे नहीं हैं।
चीन ने ताइवान के पास अपनी सैन्य गतिविधि को आगे बढ़ाते हुए बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में अपने दावों का विस्तार किया है। इस क्रम में वह ह दो नए प्रशासनिक क्षेत्रों को विकसित कर रहा है, जो यहां के द्वीपों और अन्य पड़ोसियों को नियंत्रित करने में सहायक होगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में युद्ध कालीन स्थिति में चीनी नौसेना से निपटने के लिए अमेरिकी नौसेना की क्षमता के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिकी नौसेना को इस तरह की पहली चुनौती पेश हुई है। उससे भविष्य में अमेरिका के साथ उसका संघर्ष तय माना जा रहा है।