भारत-जापान की दोस्ती से चिढ़ा चीन, कहा- साझेदारी करें, गठजोड़ नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Sep, 2017 08:58 PM

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चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से टिप्पणी करते हुए कहा गया कि क्षेत्रीय देशों के बीच ''गठजोड़'' के बजाय साझेदारी होनी चाहिए।

पेइचिंगः भारत और जापान के बीच गहरी होती दोस्ती को चीन पचा नहीं पा रहा है। इस पर चीन ने इशारों ही इशारों में निशाना साधा है। चीन के विदेश मंत्रालय गेंग शुआंग की ओर से टिप्पणी करते हुए कहा गया कि क्षेत्रीय देशों के बीच 'गठजोड़' के बजाय साझेदारी होनी चाहिए। 

भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ने के बारे में सवाल पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, 'हम इसकी पैरवी करते हैं कि देशों को टकराव के बिना संवाद के लिए खड़े होना चाहिए और गठजोड़ के बजाय साझेदारी के लिए काम करना चाहिए।' हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने भारत को यूएस-2 समुद्री सर्विलांस विमान बेचने की जापान की योजना जैसे विशिष्ट मुद्दों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। 

भारत और जापान ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को व्यापक आधार प्रदान करने के लिए गुरुवार को 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए और हिंद, प्रशांत क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने पर सहमति जताई, जहां चीन अपनी आक्रामकता बढ़ा रहा है।वहीं, जापान की भारत को ऐसे समुद्री विमान बेचने की योजना पर चीन की भौंहें तन गई हैं, क्योंकि यह जापान की ओर से किसी अन्य देश को रक्षा उपकरण बेचने का पहला ऐसा कदम है। 

इसके साथ ही भारत में जापान को पहली बुलेट ट्रेन परियोजना मिलने को लेकर भी चीन चिंतित है जो कि अहमदाबाद और मुंबई के बीच बनेगी। चीन भी भारत में हाईस्पीड रेल परियोजनाएं हासिल करने की दौड़ में है, विशेष रूप से नई दिल्ली और चेन्नई के बीच। इसके साथ ही पूर्वी चीन सागर में द्वीपों को लेकर भी चीन और जापान में लंबे समय से विवाद है।

उधर आबे की भारत यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीन के थिंकटैंक्स ने कहा कि फ्रीडम कॉरिडोर के साथ ही भारत और जापान द्वारा विभिन्न देशों में संयुक्त रूप से आधारभूत परियोजनाएं शुरू करने को दोनों देशों द्वारा चीन की महत्वाकांक्षी अरबों डॉलर की लागत वाले बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव के खिलाफ एक रणनीतिक जवाब के तौर देखा जा रहा है। भारत और जापान की पहल 'फ्रीडम कॉरिडोर' एशिया-प्रशांत से अफ्रीका तक विस्तारित है और इसका उद्देश्य क्षेत्र में स्थिरता प्रदान करना है। 

शंघाई अकैडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल रिलेशंस में रिसर्च फेलो हू झ्योंग ने कहा, 'फ्रीडम कॉरिडोर को चीन के ओबीओआर के जवाब में डिजाइन किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनैशनल रिलेशंस में असोसिएट प्रफेसर चू इन ने कहा कि जापान और भारत की पहल केवल एक शुरुआत है, इसके ओबीओआर जैसे स्तर पर पहुंचने की उम्मीद नहीं है।

चीनी विश्लेषकों ने इस खबर का भी उल्लेख किया कि भारत और जापान अफ्रीका, ईरान, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में कई आधारभूत परियोजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं। इसे यूरोप और अफ्रीका से जोड़ने वाली चीन की एकीकृत आधारभूत इनिशटिव्स का जवाब माना जा रहा है।

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