चीन की तिब्बत में  भारत के खिलाफ नई साजिश, बांग्लादेश की भी बढ़ेगी टेंशन

Edited By Tanuja,Updated: 01 Dec, 2020 03:18 PM

china to build dam on brahmaputra river

चीन की भारत को उकसाने वाली गतिविधियां लगातार जारी हैं। दुनिया के सामने बातचीत से सीमा विवाद सुलझाने का ढोंग करने वाले चीन ने भारत को ...

 

बीजिंगः चीन की भारत को उकसाने वाली गतिविधियां लगातार जारी हैं। दुनिया के सामने बातचीत से सीमा विवाद सुलझाने का ढोंग करने वाले चीन ने भारत को उकसाने के लिए अब नई घोषणा की है। चीन ने कहा है कि वह तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर उससे बिजली उत्पादन करेगा। तिब्बत और चीन में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलंग जांग्बो कहते हैं। चीन की इस घोषणा से भारत के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। 2900 किलोमीटर लंबी ब्रह्मपुत्र नदी का बड़ा हिस्सा और उसकी डाउनस्ट्रीम भारत में आता है जिससे चीन जब चाहे पानी के बहाव को नियंत्रित कर सकता है।

 

चीन इस बांध का निर्माण अगले साल से शुरू होने वाली 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत तिब्बत में करेगा। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि इस बांध के निर्माण का काम पावर कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन ऑफ  चाइना को दिया गया है। इसके अध्यक्ष यांग जियोंग ने बताया है कि हम यारलंग जांग्बो यानी ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। इस बांध के बन जाने के बाद भारत, बांग्लादेश समेत कई पड़ोसी देशों को सूखे और बाढ़ दोनों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि चीन जब मन करेगा बांध का पानी रोक देगा,जब मन करेगा तब बांध के दरवाजे खोल देगा। इससे पानी का बहाव तेजी से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरफ आएगा। इससे अरुणाचल प्रदेश, असम समेत कई राज्यों में बाढ़ आ सकती है।

 

चीन का दावा है कि इस योजना से जल संसाधनों और घरेलू सुरक्षा को मजबूत करने में उन्हें मदद मिलेगी। यांग जियोंग ने कहा कि चीन की सरकार ने देश की 14वीं पंचवर्षीय योजना तैयार करने के प्रस्तावों में इस प्रोजेक्ट को भी शामिल किया है। इस प्रोजेक्ट को साल 2035 तक पूरा किया जाएगा। हालांकि अभी तक इस प्रोजेक्ट के बारे में चीन की सरकार की तरफ  से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि अगले साल तक चीन की सरकार इस योजना की आधिकारिक  घोषणा कर देगी। बता दें कि ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से शुरू होकर भारत और बांग्लादेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। इस दौरान यह करीब 2900 किलोमीटर की यात्रा करती है। भारत में इस नदी का एक तिहाई पानी आता है। इसके जरिए उत्तर-पूर्वी राज्यों में पानी की सप्लाई की जाती है, इसीलिए इस खबर से भारत और बांग्लादेश चिंतित हो रहे हैं। हालांकि चीन ने कहा कि वह अपने पड़ोसी देशों के हितों का ध्यान रखते हुए ही कोई काम करेगा।

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