चीनी पत्रकार ने चंद्रयान-2 पर उठाए सवाल, कहा- भारत ने कर दी ये गलती

Edited By Yaspal,Updated: 20 Sep, 2019 06:27 PM

chinese journalist raised questions on chandrayaan 2

लैंडर विक्रम जब 7 सितंबर को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर रहा था, तो ये क्रैश हो गया और उसके बाद से इसरो से इसका कोई संपर्क लाख कोशिश के बाद भी नहीं हो सका। यहां तक दुनिया की सबसे बड़ी और सक्षम स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने भी विक्रम...

नेशनल डेस्कः लैंडर विक्रम जब 7 सितंबर को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर रहा था, तो ये क्रैश हो गया और उसके बाद से इसरो से इसका कोई संपर्क लाख कोशिश के बाद भी नहीं हो सका। यहां तक दुनिया की सबसे बड़ी और सक्षम स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने भी विक्रम से संपर्क की कोशिश की लेकिन से संपर्क की रही-सही उम्मीदें भी खत्म हो जाएंगी। लेकिन इसी बीच एक सवाल भी उठ रहा है। एक चीनी पत्रकार ने इस बारे में ट्वीट करके सवाल उठाया है।

ये सवाल ये उठ रहा है कि क्या इसरो ने केवल 14 दिनों के लिए लैंडर विक्रम को चांद पर भेजा था, क्योंकि उन्होंने उसमें वो थर्मल उपकरण नहीं लगाया था, जो इस लैंडर को चांद पर रात होने की सूरत में ठंड से बचाता और गर्म रखता है। दरअसल चांद पर रातें बहुत ठंडी होती हैं। तापमान माइनस 200 डिग्री से नीचे चला जाता है, ऐसे में लैंडर विक्रम के सही सलामत रहने की संभावनाएं एकदम ही खत्म हो जाएंगी। इतनी ठंड को विक्रम के अंदर लगे उपकरण बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे, वो जवाब दे देंगे।

इसके अलावा अगले 14 दिनों में ठंडे कहे जाने वाले चांद के साउथ पोल में चंद्रमा पर बर्फ की ऐसी परत जम सकती है कि फिर ये किसी आर्बिटर को शायद ही नजर आए। तब ना तो इसरो का चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगता हमारा आर्बिटर तलाश पाएगा और ना ही नासा का आर्बिटर यानि ये 14 दिन लैंडर विक्रम की कहानी को पूरी तरह खत्म कर देंगे। अब हम जानते हैं उस उपकरण के बारे में जिसके नहीं होने पर सवाल उठ रहे हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रकाशित ते यांग पार्क, जांग जून ली और ह्यून ओंग ओ ने इस बारे में एक लेख लिखा है, जिसका शीर्षक है, प्रारंभिक थर्मल डिजाइन और रात में चांद पर लैंडर के बचाव का विश्लेषण किया है।

इसमें कहा गया है कि चांद एक दिन पृथ्वी के करीब एक माह के बराबर होता है। इसमें 14 दिनों का दिन और लगातार 14 दिनों की रात होती है। ये रातें बेहद ठंडी होती हैं। लिहाजा ऐसे में जब चांद पर कोई लैंडर भेजा जाता है तो उसमें उपयुक्त तरीके से थर्मल डिजाइन करना एक अहम टास्क ही नहीं होता है बल्कि ये ही वो पहलू है, जिसके पुख्ता तरीके से काम करने के लिए लैंडर इतनी ठंड में बचा रहता है।

इसी के जरिए वो अपने सारे यंत्रों और सिस्टम को भी बचाकर रखने में कामयाब होता है। लैंडर में तमाम ऐसे इलैक्ट्रानिक उपकरण भी होते हैं, जो बहुत संवेदनशील होते हैं, लिहाजा उनके एक अंदर एक सामान्य तापमान बना रहना बहुत जरूरी है।

 

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