चीन ने अंतरिक्ष में भी मारी बाजी, चांद के गुप्त हिस्से पर उतारा पहला स्पेसक्राफ्ट

Edited By Tanuja,Updated: 03 Jan, 2019 03:51 PM

chinese spacecraft nears landing on far side of moon

चीन ने अंतरिक्ष में भी बाजी मारते हुए गुरुवार को चंद्रमा के धरती से नजर न आने वाले पिछले गुप्त हिस्से पर अपना स्पेसक्राफ्ट चांगी-4 उतारा। चांद के इस हिस्से पर पहली बार किसी स्पेसक्राफ्ट ने लैंडिंग की है...

बीजिंगः चीन ने अंतरिक्ष में भी बाजी मारते हुए गुरुवार को चंद्रमा के धरती से नजर न आने वाले पिछले गुप्त हिस्से पर अपना स्पेसक्राफ्ट चांगी-4 उतारा। चांद के इस हिस्से पर पहली बार किसी स्पेसक्राफ्ट ने लैंडिंग की है। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही चांद पर स्पेसक्राफ्ट उतार सके हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-1 चांद पर उतारा नहीं गया था। वह चंद्रमा की परिक्रमा के लिए भेजा गया था।

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इसरो भी  चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को तैयारः इसरो इस महीने के आखिरी तक अपने दूसरे मून मिशन- चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कर सकता है। इस कामयाबी पर चीन के अंतरिक्ष प्रबंधन के साथ काम करने वाले मकाऊ यूनवर्सिटी के प्रोफेसर झो मेंगुआ ने कहा, ‘‘इस स्पेस मिशन ने बता दिया कि चीन सुदूर अंतरिक्ष की खोज के मामले में काफी आगे निकल गया है।’’ चीन अब 2022 तक अपने तीसरे अंतरिक्ष केंद्र को शुरू करने पर ध्यान लगा रहा है। वह इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भी भेजना चाहता है। इसके अलावा एक मिशन के जरिए मंगल की धरती से मिट्टी लाने की भी उसकी योजना है।


दो बार टल चुकी चंद्रयान-2 की लॉन्चिंगः इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और अब 31 जनवरी तय की गई है। इससे पहले इसरो ने 2008 में चंद्रयान-1 भेजा था। इसने चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए उसकी सतह पर पानी होने की पुष्टि की थी। चंद्रयान-2 का का भार बढ़ा, बदला लॉन्चिंग व्हीकल चंद्रयान-2 का पहले से तय भार बढ़ गया है। इस वजह से अब इसे जीएसएलवी से लॉन्च नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए जीएसएलवी-मैक-3 में बदलाव किया गया है। यह जीएसएलवी-मैक-3-एम1 कहलाएगा।

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 गगनयान का खाका भी तैयारः  इसरो ने भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान का खाका भी तैयार कर लिया है। इसके जरिए तीन अंतरिक्ष यात्री 350 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष यान में बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाएंगे। वे बेहद कम गुरुत्वाकर्षण से जुड़े प्रयोग करेंगे। यह मिशन दिसंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इससे पहले यह प्रयोग दो बार मानवरहित किया जाएगा।
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