भारतीयों के मुकाबले 'चाइनीजों' को जल्दी मिल जाता है 'अमरीकी वीजा'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 07:58 PM

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अमरीकी वीजा के लिए आवेदन के मामले में किसी भारतीय को स्वीकृति मिलने की संभावना चाइनीज आवेदक से कम है। चीन के मुकाबले भारत के लिए अमरीकी वीजा अस्वीकृति दर करीब दोगुना है। पिछले दशक में भारत के लिए यह दर बढ़ी है तो चीन के लिए कमी आई है

नई दिल्लीः अमरीकी वीजा के लिए आवेदन के मामले में किसी भारतीय को स्वीकृति मिलने की संभावना चाइनीज आवेदक से कम है। चीन के मुकाबले भारत के लिए अमरीकी वीजा अस्वीकृति दर करीब दोगुना है। पिछले दशक में भारत के लिए यह दर बढ़ी है तो चीन के लिए कमी आई है। 

10 साल में वीजा कैंसिल होने में 6.5 फीसदी की वृद्धि
अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत के लिए अमरीकी वीजा अस्वीकृति दर 26 फीसदी है और 2006 से 2016 के बीच इसमें 6.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। चीन के लिए अमरीकी वीजा अस्वीकृति दर 12.4 फीसदी है और इसी समान अवधि के दौरान इसमें 12.2 फीसदी की कमी आई है। एेसे में इन आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दशक में अमरीका चीन की ओर तेजी से मुड़ा है। चीन ने अपने बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोला है। 

साउथ अफ्रीकी नागरिकों के आवेदन सबसे कम होते खारिज
एक जानकारी के मुताबिक, अमरीका क्यूबा के नागरिकों के वीजा आवेदन सबसे ज्यादा खारिज करता है। क्यूबा के मामले में यह दर 81.9 फीसदी है। सऊदी अरब की वीजा अस्वीकृति दर 4 फीसदी है और इसमें भी 7.3 फीसदी की कमी आई है। इजरायल के लिए यह 4.1 फीसदी है। वहीं, ब्राजील और रूस के लिए यह क्रमश: 16.7 और 9.35 फीसदी है। ब्रिक्स देशों में साउथ अफ्रीका के नागरिकों का आवेदन खारिज होने की दर सबसे कम 6.8 फीसदी है, जबकि भारत की इन सबसे बहुत अधिक है।

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