Edited By vasudha,Updated: 24 Sep, 2018 01:37 PM
सरकार भले ही सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होने के तमाम दावे करती हो, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। देश के अधिकांश एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर है। इस बात का खुलासा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की हालिया ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है...
नेशनल डेस्क: सरकार भले ही सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होने के तमाम दावे करती हो, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। देश के अधिकांश एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर है। इस बात का खुलासा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की हालिया ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा समय में देश के 30 से ज्यादा हवाई अड्डों पर सीसीटीवी कैमरों, सामानों की एक्स-रे मशीन, बम डिटेक्टर और वॉकी-टॉकी की कमी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सीआईएसएफ की जांच प्रक्रिया में अक्सर दिक्कत आती है, क्योंकि 6 हवाई अड्डों पर सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुसार 30 दिनों की अवधि के लिए अनिवार्य डिजिटल सीसीटीवी रिकॉर्डिंग रखने की सुविधा मौजूद नहीं है।
सीआईएसएफ ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में 34 ऐसे हवाई अड्डों को सुरक्षा समझौता के मद्देनजर हाईलाइट किया है, जिनमें सुरक्षा बेहद कमजोर है। सीआईएसएफ अधिकारी के अनुसार, 34 हवाई अड्डों पर 1,882 कैमरों की कमी है, जिसकी सूचना भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) को दे दी गई है। वहीं, कुछ हवाई अड्डे ऐसे भी हैं, जहां डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कुछ हवाई अड्डों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात नहीं किया गया है। बता दें कि देश के हवाई अड्डों, बंदरगाहों, पावर प्लान्ट और सभी संवेदनशील सरकारी भवनों की सुरक्षा के लिए 1969 में सीआईएसएफ का गठन किया गया था। देश के 98 में से 60 एयरपोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के पास ही है।