नागरिकता संशोधन बिल, 2016 लोकसभा में हुआ पास, जानें क्यों है ख़ास ?

Edited By shukdev,Updated: 08 Jan, 2019 08:06 PM

citizenship amendment bill 2016 passed in the lok sabha

विपक्ष और सहयोगी पार्टियों के विरोध के बावजूद बीजेपी सरकार लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल, 2016 पास कराने में कामयाब हो गई। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने जहां बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट किया वहीँ सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना और असम गण परिषद...

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): विपक्ष और सहयोगी पार्टियों के विरोध के बावजूद बीजेपी सरकार लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल, 2016 पास कराने में कामयाब हो गई। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने जहां बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट किया वहीँ सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना और असम गण परिषद ने विरोध जताते हुए कहा है कि इस बिल से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे नैशनल सिटिजन रजिस्टर पर असर पड़ेगा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह बिल असम के लिए नहीं है और उन शरणार्थियों के लिए भी है जो राजस्थान, पंजाब, दिल्ली में आकर रह रहे हैं।

PunjabKesariनागरिकता संशोधन बिल, 2016 की ख़ास बातें :

  • 1 - यह बिल नागरिकता एक्ट 1955 में संशोधन करता है। 
  • 2 - इस बिल के मुताबिक, निम्नलिखित व्यक्ति और समुदायों के साथ अवैध प्रवासी के सामान व्यवहार नहीं किया जाएगा : 
  • क ) अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई। 
  • ख) जिन्हे केंद्र सरकार द्वारा पासपोर्ट एक्ट 1920 और विदेशी एक्ट 1946 के प्रावधानों  से छूट दी गई है। 
  • 3 - अफगानिस्तान , बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने से पहले कम से कम 6 वर्ष से भारत में रह रहा हो। अन्य के लिए यह अवधि 11 वर्ष की है। 
  • 4 -ओवरसीज सिटीजन ऑफ़ इंडिया (ओसीआई) कार्ड होल्डर्स के पंजीकरण को रद्द करने का एक और आधार देता है। ओसीआई अगर देश के कानून का उलंघ्घन करता है तो उसका पंजीकरण रद्द होगा।

PunjabKesariइससे पहले 1955 के मुताबिक, पंजीकरण रद्द होने के निम्नलिखित कारण हैं -

  • क)अगर व्यक्ति ने धोखे से पंजीकरण कराया हो। 
  • ख) पंजीकरण से पांच वर्ष के बीच व्यक्ति को 2 या उससे अधिक कारावास की सजा हुई हो। 
  • ग) अगर देश की सुरक्षा और सम्प्रुभता के हित में हो।

आपको बता दें 10 दिसंबर को मेघालय हाई कोर्ट के जज सुदीप रंजन सेन ने अपने फैसले में प्रधानमंत्री, कानून मंत्री और सांसदों से अपील की थी कि वे कानून पास करें जिसमे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी, खासी, जयंती और गारो समुदाय के लोगों को बिना प्रमाणपत्र के देश की नागरिकता दी जाए।
 

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