लोकसभा में पास हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक, अब राज्यसभा में पेश होगा बिल

Edited By Yaspal,Updated: 10 Dec, 2019 05:42 AM

citizenship amendment bill passed in lok sabha

लोकसभा ने आज नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक के पक्ष में 311, जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े। इस विधेयक का जेडीयू, बीजेडी, शिरोमणि अकाली दल, एलजेपी, AIADMK ने समर्थन किया। कांग्रेस समेत सपा, बसपा, टीएमसी, टीआरएस, DMK और AIMIM जैसी पार्टी...

नेशनल डेस्कः लोकसभा ने आज नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक के पक्ष में 311, जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े। इस विधेयक का जेडीयू, बीजेडी, शिरोमणि अकाली दल, एलजेपी, AIADMK ने समर्थन किया। कांग्रेस समेत सपा, बसपा, टीएमसी, टीआरएस, DMK और AIMIM जैसी पार्टी ने विरोधि किया। नागरिकता संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। निचले सदन में विधेयक पर सदन में सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है। ये लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी।
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शाह ने कहा, ‘‘ मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता। अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।'' उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता काल्पनिक था और विफल हो गया और इसलिये विधेयक लाना पड़ा। शाह ने कहा कि देश में एनआरसी आकर रहेगा और जब एनआरसी आयेगा तब देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पायेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जायेगा।
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अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए देश में किसी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। यह सरकार सभी को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े। विपक्ष के कुछ संशोधनों पर मत विभाजन भी हुआ और उन्हें सदन ने अस्वीकृत कर दिया। विधेयक पारित होने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल समेत भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों के विभिन्न सदस्यों ने गृह मंत्री अमित शाह के पास जाकर उन्हें बधाई दी।
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प्रधानमंत्री मोदी के रहते हुए किसी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं
शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए देश में किसी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। यह सरकार सभी को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म है। उन्होंने बताया कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी।
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इससे पहले अमित शाह ने अपने जवाब में कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी। शाह ने कहा कि भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये। उन्होंने कहा कि इसलिये यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और ना आगे होगा।
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शाह ने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है और तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिये नहीं, शरणार्थी हैं। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘ मैं दोहराना चाहता हूं कि देश में किसी शरणार्थी नीति की जरूरत नहीं है। भारत में शरणार्थियों के संरक्षण के लिए पर्याप्त कानून हैं।'' उन्होंने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने द्विराष्ट्र नीति की बात की लेकिन कांग्रेस ने उसे रोका नहीं। उसने धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार किया था, यह ऐतिहासिक सत्य है। शाह ने कहा कि हमारी अल्पसंख्यकों को लेकर अवधारणा संकुचित नहीं है जैसा कि विपक्ष के सदस्यों ने आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह यहां के अल्पसंख्यकों की बात ही नहीं कर रहे। यह उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों की बात है। उन्होंने कहा कि इस देश में इतनी बड़ी आबादी मुस्लिमों की है। कोई भेदभाव नहीं हो रहा। तस्वीर ऐसी बनाई जा रही है कि अन्याय हो रहा है।
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शाह ने किया साफ- देश में लागू होगा NRC
शाह ने कहा, ‘‘मैं फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम एनआरसी लेकर आएंगे तो देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पाएगा। हमें एनआरसी की पृष्ठभूमि बनाने की जरूरत नहीं। हमारा रुख साफ है कि इस देश में एनआरसी लागू होकर रहेगा। हमारा घोषणापत्र ही पृष्ठभूमि है। '' उन्होंने कहा कि कहा कि हमें मुसलमानों से कोई नफरत नहीं है और कोई नफरत पैदा करने की कोशिश भी न करे। गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के दलों ने विधेयक का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सिक्किम को भी संरक्षण प्राप्त है और चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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