CJI दीपक मिश्रा: तमाम चुनौतियों के बीच रिटायरमेंट के आखिरी दिनों में सुनाए ऐतिहासिक फैसले

Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Sep, 2018 01:21 PM

cji deepak mishra historical decisions in the last days of retirement

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पिछले दिनों कई अहम मामलों में लीक से हटकर सुनाए अपने फैसलों से पूरे देश को हैरान कर दिया। जहां सीजेआई ने आधार की वैधता तो बरकरार रखी लेकिन उसकी कई जगहों पर अनिवार्यता को तव्वजों नहीं दी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पिछले दिनों कई अहम मामलों में लीक से हटकर सुनाए अपने फैसलों से पूरे देश को हैरान कर दिया। जहां सीजेआई ने आधार की वैधता तो बरकरार रखी लेकिन उसकी कई जगहों पर अनिवार्यता को तव्वजों नहीं दी तो दूसरी तरफ उन्होंने पति-पत्नी और वो के रिश्ते को अपराध नहीं माना। इतना ही नहीं समलैंगिकता में भी आपसी रजामंदी से बनाएं संबंधों को सही करार दिया। उन्होंने भारत की विवध संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कई समावेशी और ऐतिहासिक फैसले सुनाए। चीफ जस्टिस मिश्रा 2 अक्तूबर को रिटायर हो रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न्यायपालिका के अंदर और बाहर कई चुनौतियों का सामना किया।

उतार-चढ़ाव वाला का कार्यकाल

  • सीजेआई के रूप में संभवत: वे ऐसे पहले न्यायाधीश हैं जिन्हें पद से हटाने के लिए राज्यसभा में सांसदों ने सभापति एम.वेंकैया नायडू को याचिका दी, लेकिन तकनीकी आधार पर विपक्ष इस मामले को आगे बढ़ाने में विफल रहा।  
  • यह भी पहली बार हुआ कि न्यायपालिका के चीफ जस्टिस की कार्यशैली पर उनके ही कई सहयोगी जजों ने सवाल उठाए और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों- जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई (भावी चीफ जस्टिस),  जस्टिस मदन बी.लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को अभूतपूर्व कदम उठाते हुए उनके खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर गंभीर आरोप उन पर लगाए। न्यायाधीशों के इस कदम से कार्यपालिका ही नहीं, न्यायपालिका की बिरादरी भी स्तब्ध रह गई। 
  • पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने चीफ जस्टिस की कार्यशैली के संबंध में एक याचिका दायर कर दी।  बहरहाल, इन तमाम चुनौतियों को विफल करते हुए सीजेआई दीपक मिश्रा निर्बाध रूप से अपना काम करते रहे। 
  • अपने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते में जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ और खंडपीठ ने कई ऐसी व्यवस्थाएं दीं जिनकी सहजता से कल्पना नहीं की जा सकती।  


चीफ जस्टिस के अहम निर्णय

  • दो वयस्कों के बीच परस्पर सहमति से स्थापित समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया और इससे संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 377 खत्म कर दी गई।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को अंसवैधानिक घोषित करते हुए उसे भी खत्म कर दिया गया, जिससे पूरा देश हैरान रह गया। सीजेआई के इस फैसले से अब विवाहोत्र संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं आएंगे।
  • जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने केरल के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी और कहा कि समाज में महिलाओं का पद आदरणीय और पूजनीय है। 
  • केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक करार देते हुए पैन कार्ड और आयकर रिटर्न के लिए इसकी अनिवार्यता बरकरार रखी लेकिन बैंक खातों और मोबाइल कनेक्शन के लिए इसकी जरूरत खत्म करके जनता को हो रही अनावश्यक परेशानियों से मुक्ति दिलाई। 
  • रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद से जुड़े 1994 के इस्माइल फारूकी मामले को लेकर फैसला सुनाया कि मस्जिद में नमाज का मामला ऊंची पीठ में नहीं जाएगा। साथ ही कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना जरूरी नहीं है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!