जस्टिस कुरियन का दावा- CJI दीपक मिश्रा को कोई बाहरी कर रहा था कंट्रोल

Edited By Seema Sharma,Updated: 03 Dec, 2018 11:13 PM

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सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज कुरियन जोसेफ ने कहा कि उन्हें 12 जनवरी के विवादित संवाददाता सम्मेलन को लेकर कोई पछतावा नहीं है जिसमें उन्होंने तथा तीन अन्य (जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एम.बी. लोकूर और पूर्व न्यायाधीश जे चेलामेश्वर)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज कुरियन जोसेफ ने कहा कि उन्हें 12 जनवरी के विवादित संवाददाता सम्मेलन को लेकर कोई पछतावा नहीं है जिसमें उन्होंने तथा तीन अन्य (जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एम.बी. लोकूर और पूर्व न्यायाधीश जे चेलामेश्वर) न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत के कामकाज को लेकर विभिन्न मुद्दे उठाए थे। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि चीजें अब बदल रही हैं। वहीं जज कुरियन ने दावा किया कि पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को कोई बाहर से कंट्रोल कर रहा था, इसलिए वो कदम उठाना जरूरी था। जस्टिस जोसेफ ने दीपक मिश्रा के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाए और कहा कि अन्य जजों को उनके केस आवंटित करने का ढंग सवालिया था।
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एक इंटरव्यू में कुरियन ने कहा कि उन्होंने कहा कि किसी न्यायाधीश द्वारा न्यायिक शक्तियों के इस्तेमाल पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता। उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियुक्तियों में ‘‘चुनिंदा तरीके से देरी की जा रही है या इन्हें रोककर रखा जा रहा है’’ वह ‘‘एक तरीके से’’ न्याय में ‘‘हस्तक्षेप’’ है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 12 जनवरी के संवाददाता सम्मेलन का हिस्सा होने का पछतावा है, उन्होंने जवाब दिया, ‘‘आप किस तरह का अजीब सवाल पूछ रहे हैं? मैंने जो कुछ किया मुझे उसका कोई पछतावा नहीं है, मैंने बहुत सोच समझकर एक उद्देश्य से ऐसा किया, ऐसा उद्देश्य जिसके लिए कोई और रास्ता नहीं बचा था। जब हमने ऐसा किया तब यही स्थिति थी।’’
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उन्होंने कहा कि बाहर से कोई व्यक्ति सीजेआई को नियंत्रित कर रहा था। हमें कुछ ऐसा ही महसूस हुआ, इसलिए हम उससे मिले, उससे पूछा और उससे सुप्रीम कोर्ट की आजादी और गौरव बनाए रखने के लिए कहा। प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला किसका था और क्या सब इससे सहमत थे के सवाल पर कुरियन जोसेफ ने कहा कि जस्टिस चेलमेश्वर का यह आइडिया था लेकिन हम तीनों (जस्टिस रंजन गोगोई (फिलहाल चीफ जस्टिस) और जस्टिस मदन बी लोकुर) इससे सहमत थे।
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वहीं पूर्व न्यायाधीश जोसफ ने कहा कि अगर पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार द्वारा कोई पद ‘‘उपकार स्वरूप’’ (चैरिटी) दिया जाता है तो उन्हें इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद केवल उस स्थिति में पद संभालना चाहिए जब सरकार द्वारा उनसे न्यायाधिकरण की जिम्मेदारी संभालने के लिए सम्मानपूर्वक आग्रह किया जाए।

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