मीडिया पर भड़के सीजेआई रमना, कहा - चल रही हैं कंगारू अदालतें, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में शून्य जवाबदेही

Edited By Yaspal,Updated: 23 Jul, 2022 06:23 PM

cji ramana furious at the media said  kangaroo courts are running

भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि मीडिया द्वारा चलाई जा रही कंगारू अदालतें और एजेंडा आधारित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं

नेशनल डेस्कः भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि मीडिया द्वारा चलाई जा रही कंगारू अदालतें और एजेंडा आधारित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं। रांची में न्यायमूर्ति सत्यव्रत सिन्हा की याद में स्थापित व्याख्यान के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मीडिया ट्रायल से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्ष कामकाज प्रभावित होता है।

सीजेआई ने कहा, “मीडिया ट्रायल किसी मामले में फैसला लेने में मार्गदर्शक कारक साबित नहीं हो सकता है। पिछले कुछ समय में हमने मीडिया को कई बार उन मुद्दों को लेकर कंगारू अदालतें चलाते देखा है, जिनमें यहां तक ​​कि अनुभवी न्यायाधीशों के लिए भी निर्णय लेना मुश्किल होता है। न्याय प्रदान करने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना का प्रसार और एजेंडा आधारित बहस लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रही है।”

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, “मीडिया द्वारा प्रचारित किए जा रहे पक्षपातपूर्ण विचार लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे न्याय देने की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अपनी जिम्मेदारियों से भागकर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही बची है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं है, क्योंकि यह जो दिखाता है, वह हवा में गायब हो जाता है।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि कई बार मीडिया में, खासकर सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारियों की लगातार अनदेखी और उससे पैदा सामाजिक अशांति के कारण मीडिया के लिए सख्त नियम बनाने और जवाबदेही तय करने की मांग जोर पकड़ रही है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “हालिया ट्रेंड को देखते हुए अपने शब्दों पर विचार करना और नाप-तौलकर बोलना वास्तव में मीडिया के हित में है। आपको अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी करके सरकार या अदालतों को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।” उन्होंने कहा, “न्यायाधीश तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देते। लेकिन कृपया इसे उनकी कमजोरी या लाचारी न समझें। जब आजादी का उसके अधिकार क्षेत्र में जिम्मेदारी से इस्तेमाल किया जाता है तो उचित या आनुपातिक प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।”

न्यायमूर्ति रमण ने मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से जिम्मेदारी के भाव से काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शक्ति का इस्तेमाल एक प्रगतिशील, समृद्ध और शांतिपूर्ण भारत का निर्माण करने के सामूहिक प्रयास की दिशा में लोगों को शिक्षित करने और राष्ट्र को सक्रिय करने के लिए किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति रमण ने न्यायपालिका को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि न्यायाधीशों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा, “क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक न्यायाधीश, जिसने दशकों तक पीठ में सेवाएं देते हुए कुख्यात अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेला हो, एक बार जब वह सेवानिवृत्त हो जाता है तो कार्यकाल के साथ मिलने वाली सभी सुरक्षा खो देता है? न्यायाधीशों को बिना किसी सुरक्षा या रक्षा के आश्वासन के उसी समाज में रहना पड़ता है, जिसके कुछ लोगों को उन्होंने दोषी ठहराया है।”

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियों को अक्सर उनके काम की संवेदनशीलता के कारण सेवानिवृत्ति के बाद भी सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। लेकिन, विडंबना यह है कि न्यायाधीशों को समान सुरक्षा नहीं दी जाती है।” उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक निर्णय के लिए प्राथमिकता के आधार पर मामले तय करना है, क्योंकि न्यायाधीश सामाजिक हकीकतों के प्रति आंखें नहीं मूंद सकते हैं।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, “मैं इस देश में न्यायपालिका के भविष्य को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर करने से कभी पीछे नहीं हटूंगा... पहले से ही कमजोर न्यायिक ढांचे पर बोझ दिन बदिन बढ़ता जा रहा है। बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए कुछ विचार-विमर्श हुए हैं... हालांकि, मैंने न्यायपालिका को निकट भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने के वास्ते किसी ठोस योजना के बारे में नहीं सुना है। ऐसे में दीर्घकालिक चुनौतियों से निपटने की योजना को तो छोड़ ही दीजिए।” उन्होंने स्पष्ट किया, “न्यायपालिका और कार्यपालिका के समन्वित प्रयासों से ही बुनियादी ढांचे के संवेदनशील मुद्दे को संबोधित किया जा सकता है।”

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!