रिटायरमेंट से पहले राम मंदिर मामला सुलझाना चाहते हैं CJI रंजन गोगोई, तय की डेडलाइन

Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Sep, 2019 12:20 PM

cji ranjan gogoi wants to settle ram temple case before retiring

भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े फैसले सुनाए हैं। वहीं वह अपनी रिटायरमेंट से पहले राम मंदिर विवाद का मामला भी सुलझाना चाहते हैं। बता दें कि रंजन गोगोई ने 3 अक्तूबर 2018 को देश के चीफ जस्टिस

नई दिल्लीः भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े फैसले सुनाए हैं। वहीं वह अपनी रिटायरमेंट से पहले राम मंदिर विवाद का मामला भी सुलझाना चाहते हैं। बता दें कि रंजन गोगोई ने 3 अक्तूबर 2018 को देश के चीफ जस्टिस के रूप में अपना पदभार संभाला था और वे 17 नवंबर, 2019 को सेवानिवृत होंगे। जस्टिस गोगोई का 13 महीने से थोड़ी अधिक अवधि का कार्यकाल होगा।

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CJI ने तय की समय-सीमा
बुधवार को राम-जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 18 अक्तूबर तक सुनवाई पूरी कर लेंगे। सीजेआई गोगोई ने कहा कि एक महीने में बहस पूरी करने के लिए सभी पक्षों को कोशिश करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम शनिवार को भी सुनवाई के लिए तैयार हैं इसके बाद हमें फैसला लिखने के लिए चार हफ्तों का समय मिलेगा। यानि कि 17 नवंबर से पहले गोगोई राम मंदिर पर फैसला सुना सकते हैं। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए एक घंटा ज्यादा देर तक भी बैठ सकता है।

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मध्यस्थता की कोशिशें भी रहेंगी जारी
सीजेआई ने कहा कि अगर दोनों पक्ष इस मामले को मध्यस्थता के जरिए सुलझाना चाहते हैं, तो वे अब भी ऐसा कर सकते हैं। हमें इसके बारे में बताएं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि उसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला का पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षों ने उन्हें मध्यस्थता प्रक्रिया पुन: आरंभ करने के लिए पत्र लिखा है। कलीफुल्ला ने मामले में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल की अगुवाई की थी। पीठ ने कहा कि भूमि विवाद मामले में रोजाना के आधार पर कार्रवाई बहुत आगे पहुंच गई है और यह जारी रहेगी। हालांकि अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति कलीफुल्ला की अगुवाई में मध्यस्थता प्रक्रिया अब भी जारी रह सकती है और उसकी कार्रवाई गोपनीय रखी जाएगी।

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उल्लेखनीय है कि 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की।

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