Edited By Yaspal,Updated: 28 Jul, 2020 07:12 PM
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध और अपराधियों पर बात करते हुए सख्त टिप्पणी की है। दरअसल, एक अपराधी जिसपर आठ आपराधिक मामले दर्ज थे, उसको सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत...
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध और अपराधियों पर बात करते हुए सख्त टिप्पणी की है। दरअसल, एक अपराधी जिसपर आठ आपराधिक मामले दर्ज थे, उसको सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने अपराधी से कहा कि तुम खतरनाक आदमी हो, इसलिए तुम्हें जमानत नहीं दी जा सकती है। अदालत ने यूपी के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे का जिक्र करते हुए कहा कि अपराधियों को दी जाने वाली जमानत के चलते उत्तर प्रदेश सरकार अभी भी परेशान है। अदालत ने आगे कहा कि विकास दुबे को जमानत दी गई, लेकिन उसने इसके बाद क्या किया, ये सभी ने देखा है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच गुर्गों की पुलिस मुठभेड़ का जिक्र कमोबेश अदालती सुनवाई के दौरान होने लगा है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दो मामलों में ऐसा ही कुछ हुआ। दरअसल दो इतर मामलों की सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शरद अरविंद बोबडे ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विकास दुबे एवं उसके साथियों की मुठभेड़ का रोचक अंदाज में जिक्र किया और याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इनकार कर दिया। एक मामले में याचिकाकर्ता ने जमानत मिलने के बावजूद एस्कॉर्ट लगाए रखने की शिकायत की थी और उसे हटाने का अनुरोध अदालत से किया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायमूर्ति बोबडे की बेंच के समक्ष कहा, ‘‘माई लार्ड, कोर्ट ने जमानत दे रखी है। छह महीने से जमानत पर हूं, लेकिन जमानत की शर्त के मुताबिक पुलिस वाले हमेशा एस्कॉर्ट करते हैं। माई लार्ड, इसकी जरूरत नहीं है। और इस कोरोना माहमारी के समय तो बिल्कुल ही नहीं।'' उसकी उस गुहार पर मुख्य न्यायधीश ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘आजकल बहुत मुठभेड़ हो रही है। पुलिस एस्कॉर्ट तो अच्छा है, इसे मत हटाइए।''
दूसरा मामला, आठ आपराधिक मामलों के आरोपी से जुड़ा है। उस आरोपी ने जमानत याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बोबडे ने दुबे मुठभेड़ के परिप्रेक्ष्य में कहा, ‘‘हम आपके मुवक्किल को जमानत नहीं दे सकते। वह खतरनाक अपराधी है। आपने देखा नहीं, उस मामले में क्या हुआ! एक अपराधी जिसपर 64 मामले लंबित थे, उसे जमानत देने का क्या नतीजा हुआ? पूरे उत्तर प्रदेश को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा।'' इसके साथ ही अदालत ने जमानत की अर्जी खारिज कर दी।