कम्प्यूटर की जासूसी पर गृह मंत्रालय की सफाई, कहा- किसी को नहीं निगरानी का अधिकार

Edited By vasudha,Updated: 30 Dec, 2018 05:54 PM

cleanliness of the home ministry on computer spy

केंद्र सरकार द्वारा 10 एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर की निगरानी और डाटा की जांच का अधिकार देने के बाद देश भर में घमासान जारी है। वहीं इसी बीच गृह मंत्रालय ने आज सफाई देते हुए कहा कि कंप्यूटरों की निगरानी के लिए किसी भी एजेंसी को पूर्ण अधिकारी नहीं...

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार द्वारा 10 एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर की निगरानी और डाटा की जांच का अधिकार देने के बाद देश भर में घमासान जारी है। वहीं इसी बीच गृह मंत्रालय ने आज सफाई देते हुए कहा कि कंप्यूटरों की निगरानी के लिए किसी भी एजेंसी को पूर्ण अधिकारी नहीं दिए गए हैं। उन्हें ऐसा करने के लिए जरूरी संस्थाओं से अनुमति लेनी होगी।
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गृह मंत्रालय के अनुसार कोई भी नया कानून या नई प्रकिया शुरू नहीं हुई है। किसी भी एजेंसी को कोई ताकत नहीं दी गई है। अधिकारी ने बताया कि किसी भी कंप्यूटर की जांच की प्रक्रिया के लिए उन्हें संबंधित एजेंसियों से परमिशन लेनी होगी। मौजूदा कानून और नियमों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। 
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यह थे आदेश 
बता दें कि 20 दिसंबर को गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था। सरकार की अधिसूचना के अनुसार 10 एजंसियों को अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी कंप्यूटर के डाटा की जांच कर सकती हैं। गृह मंत्रालय ने आइटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है। 
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क्या है आईटी एक्ट 2000
भारत सरकार ने आईटी एक्ट कानून से संबंधित अधिसूचना 09 जून, 2000 को प्रकाशित की थी। इस कानून के सेक्शन 69 में इस बात का जिक्र है कि अगर कोई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती पेश कर रहा है और देश की अखंडता के ख़िलाफ़ काम कर रहा है तो सक्षम एजेंसियां उनके कंप्यूटर और डेटा की निगरानी कर सकती हैं। कानून के सब-सेक्शन एक में निगरानी के अधिकार किन एजेंसियों को दिए जाएंगे, यह सरकार तय करेगी। वहीं सब-सेक्शन दो में अगर कोई अधिकार प्राप्त एजेंसी किसी को सुरक्षा से जुड़े मामलों में बुलाता है तो उसे एजेंसियों को सहयोग करना होगा और सारी जानकारियां देनी होंगी। सब-सेक्शन तीन में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर बुलाया गया व्यक्ति एजेंसियों की मदद नहीं करता है तो वो सजा का अधिकारी होगा। इसमें सात साल तक के जेल का भी प्रावधान है। 

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