धर्म को सांप्रदायिक बताने वाली राजनीति असली समस्या: भागवत

Edited By ,Updated: 06 Mar, 2016 12:25 AM

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि धर्म को साम्प्रदायिक और श्रीराम को वोट बैंक का मोहरा बनाने वाली राजनीति एक बडी समस्या है।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि धर्म को साम्प्रदायिक और श्रीराम को वोट बैंक का मोहरा बनाने वाली राजनीति एक बडी समस्या है। भागवत ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक ’ पर अपने पोस्ट में कहा कि आज की युवा पीढ़ी माक्र्स और लेनिन के सिद्धांत से प्रेरित हैं लेकिन श्रीराम के आदर्श राज्य की परिकल्पना से उन्हें शिकायत है। 

 
हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें गलती युवा पीढ़ी की नहीं है क्योंकि वह समता और सुशासन चाहती है बल्कि इसमें समस्या की जड वह राजनीति है जिसने धर्म को साम्प्रदायिक और ‘श्रीराम’ को वोट बैंक का मोहरा बना दिया है। उन्होंने कहा कि सही और गलत एक दूसरे के पूरक हैं,एक के भाव में दूसरे का अर्थ ही नहीं इसलिये जीवन में सही और गलत के बीच स्थापित समन्वय एवं संतुलन ही जीवन के स्तर का मूल्यांकन करने में निर्णायक होता है। 
 
उन्होंने कहा,‘‘हम जब गलत होते हैं तभी दूसरों को सही होने का अवसर मिलता है। लोगों ने जब से व्यवहारिकता के नाम पर जीवन के आदर्शों से समझौता करना सीखा है तब से सही सैद्धांतिक हो गया और गलत व्यवहारिक। यथार्थ के इस परि²श्य को बदलना होगा और यह तभी संभव है, जब हम सब अपनी अपनी जगह पर सही हों, तर्कों से ही नहीं कर्मों से भी, तभी संसार में सही व्यवहारिक जीवन में स्वीकृत होगा तथा गलत का अस्तित्व केवल सैद्धांतिक रूप से रहेगा और यही आदर्श परिस्थिति होगी।  उन्होंने कहा कि गलतियों का सुधार संभव है लेकिन इसके लिए गलती को मानना होगा। गलत को सही सिद्ध करने का प्रयास करते रहने से समय ही व्यर्थ होगा। उन्होंने सवाल उठाते हुये कहा,‘‘ क्या हम यह नुकसान वहन कर सकते हैं, आज हमें यही सोचना है। ’’  

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