Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Feb, 2018 04:06 PM
जम्मू कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) ने सिफारिश की है कि सेना के लिए काम करने के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सहायकों (पोर्टरों) के परिजनों को सैनिकों की तरह मुआवजा मुहैया कराने की खातिर राज्य सरकार योजना बनाए।
श्रीनगर : जम्मू कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) ने सिफारिश की है कि सेना के लिए काम करने के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सहायकों (पोर्टरों) के परिजनों को सैनिकों की तरह मुआवजा मुहैया कराने की खातिर राज्य सरकार योजना बनाए। आयोग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। आयोग के अध्यक्ष बिलाल नजकी ने एक मामले का निस्तारण करते हुए अपने आदेश में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई व्यक्ति जो सैनिक की तरह सेना के लिए काम कर रहा है, उसे कोई मुआवजा नहीं दिया गया है।
प्रवक्ता के अनुसार कुपवाड़ा जिले में डाक बंगला में मौके पर सुनवाई के दौरान यह आदेश आया। उन्होंने कहा कि आयोग महसूस करता है कि ऐसे लोगों (पोर्टरों) को सैनिकों के समान माना जाना चाहिए और मामले का जिक्र करते हुए कहा कि सेना के लिए पोर्टर के रूप में काम करने के दौरान 25 साल के व्यक्ति की मौत हो गयी थी। प्रवक्ता ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि ऐसे लोगों के लिए योजना बनायी जाए जो मौजूदा योजनाओं के दायरे में नहीं आते।
उन्होंने कहा कि कुपवाड़ा के उपायुक्त को सेना की संबंधित इकाई के समक्ष मामला उठाने तथा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि पीड़ित के पिता को उचित मुआवजा मिले। प्रवक्ता ने कहा कि कुपवाड़ा के उपायुक्त और गृह विभाग के प्रधान सचिव को तीन हफ्तों के अंदर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।