कोरोना टीका विकसित करने की होड

Edited By vasudha,Updated: 05 Jul, 2020 09:21 AM

competition to develop corona vaccine

कोरोना का टीका विकसित करने के लिए होड़ तेज हो गई है क्योंकि क्लिनिक ह्यूमन ट्रायल के दूसरे चरण के लिए भारत के औषधि नियंत्रक से कई प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को नियामक अनुमति मिल गई है। हाल ही में, भारत बायोटैक के वैक्सीन प्रत्याशी कोवैक्सीन, जो उसने...

नेशनल डेस्क: कोरोना का टीका विकसित करने के लिए होड़ तेज हो गई है क्योंकि क्लिनिक ह्यूमन ट्रायल के दूसरे चरण के लिए भारत के औषधि नियंत्रक से कई प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को नियामक अनुमति मिल गई है। हाल ही में, भारत बायोटैक के वैक्सीन प्रत्याशी कोवैक्सीन, जो उसने आई.सी.एम.आर. तथा राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान (एन.आई.वी.) के सहयोग से विकसित की है, को मानव परीक्षण के लिए अनुमोदन मिला है। यह अनुमोदन पाने वाला पहला स्वदेशी टीका है। एन.आई.वी. ने वायरस स्ट्रेन पृथक करने के बाद टीका विकसित करने के लिए उसे भारत बायोटैक को स्थानांतरित कर दिया था।

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वीरवार को जायडस कैडिला के प्लास्मिड डी.एन.ए. टीका प्रत्याशी जायकोव-डी को औषधि नियंत्रक से अनुमोदन मिला। आई.सी.एम.आर. द्वारा कोविड का टीका 15 अगस्त को बाजार में लाने की तिथि तय करने के बाद जायडस कैडिला ने अपनी उत्पादन क्षमता को चुस्त-दुरुस्त कर लिया है तथा वह देश के साथ ही विदेशी मांग भी पूरा करना चाहती है। उधर, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड तथा एस्ट्राजैनेका का प्रयोगात्मक टीका क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम चरण में पहुंच गया है। वैज्ञानिकों ने दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ विटवॉटर्सरैंड में ऑक्सकोव-19 या ऑक्सफोर्ड टीके का ट्रायल शुरू कर दिया है। उसके भारतीय पार्टनर भारतीय सीरम संस्थान को उम्मीद है कि टीका इस साल के अंत तक आ जाएगा। इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स (आई.आई.एल.) भी छोटे जानवरों तथा बंदरों पर प्री-क्लिनिकल ट्रायल कर रहा है। ये ट्रायल दिसंबर तक चल सकते हैं। 

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भारतीय सीरम संस्थान के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के बाद ही फर्म टीका लांच करने के बारे में सोचेगी। ऑक्सफोर्ड के संभावी टीके की करोड़ों खुराक गरीब देशों को सप्लाई करने के लिए एस्ट्राजैनेका के साथ पार्टनरशिप रखने के साथ ही भारतीय सीरम संस्थान सांस रोग के वारयस से लडऩे वाले इम्युनिटी बूस्टर के रूप में मिश्रित बी.सी.जी. पर भी काम कर रहा है। 

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वैज्ञानिकों ने आगाह किया, कोविड टीका विकसित करने के लिए न करें जल्दबाजी
भारत में कोविड-19 टीका कार्यक्रम में अचानक रुचि बढ़़ी है लेकिन अनेक वैज्ञानिकोंने शनिवार को कहा कि इसे उच्च प्राथमिकता देने और महीनों, यहां तक कि वर्षों तक चलने वाली प्रक्रिया में जल्दबाजी बरतने के बीच एक संतुलन बनाना अनिवार्य है एवं टीका विकसित होने में कई महीने ,यहां तक कि सालों लग सकते हैं। वैज्ञानिकों की यह सलाह आई.सी.एम.आर. द्वारा अगले महीने टीके के उत्पादन की शुरूआत करने की घोषणा के एक दिन बाद आई है। आई.सी. एम.आर. ने शुक्रवार को कोविड-19 के खिलाफ दुनिया का पहला टीका 15 अगस्त तक बाजार में उतारने की घोषणा की जिसे लेकर उम्मीद के साथ आशंकाएं भी हैं। इसी दिन गुजरात की कं पनी जायडस कैडिला ने घोषणा की कि उसे भारत के औषधि महानियंत्रक (डी.सी.जी.आई.) से उसके संभावित टीके को इंसानों पर चिकित्सीय परीक्षण की अनुमति मिल गई है। विषाणु रोग विशेषज्ञ शाहिद जमील ने कहा कि अगर चीजें दोषमुक्त तरीके से की जा जाएं तो टीके का परीक्षण खासतौर पर प्रतिरक्षाजनत्व और प्रभाव जांचने के लिए चार सप्ताह में यह संभव नहीं है। 
 

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