Edited By Pardeep,Updated: 14 Mar, 2019 10:34 PM
हिमाचल प्रदेश में विकास कार्यक के लिए वन क्षेत्रों में पेड़ काटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को राज्य सरकार को वन भूमि को गैर वानिकी उद्देश्य के लिए तब्दील करने पर भी...
नेशनल डेस्कः हिमाचल प्रदेश में विकास कार्यक के लिए वन क्षेत्रों में पेड़ काटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को राज्य सरकार को वन भूमि को गैर वानिकी उद्देश्य के लिए तब्दील करने पर भी रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट मामले पर अगली सुनवाई 1 अप्रैल को करेगी। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि जिन परियोजनाओं को अनुमति दे दी गई है। लेकिन अब तग वहां पेड़ों को नहीं काटा गया है, वहां भी अगले आदेश तक यह रोक जारी रहेगी।
गौरतलब है कि वन अधिकार अधिनियम के तहत प्राधिकरणों को सड़क, अस्पताल, स्कूल और अन्य विकास कार्यों के लिए प्रति हेक्टेयर जमीन से 75 पेड़ों को काटने की इजाजत मिली हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई संबंधी रिपोर्ट देखने पर यह निर्णय लिया। कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। पीठ ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि वनों को और किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए। पीठ ने स्पष्ट शब्दों मेें कहा है कि हिमाचल प्रदेश के अनमोल और बेशकीमती वनों को किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए।