ऑफ द रिकॉर्ड: कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में देरी पर असमंजस

Edited By Pardeep,Updated: 30 Jul, 2019 05:31 AM

confused on delays in the election of congress president

पिछले 2 महीने से कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष विहीन है। गत 25 मई को राहुल गांधी द्वारा अचानक पद छोडऩे के बाद कांगे्रस पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने में हो रही देरी को लेकर असमंजस बरकरार है। हालांकि इस बात की काफी सम्भावना थी और यह माना जा रहा था कि...

नेशनल डेस्क: पिछले 2 महीने से कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष विहीन है। गत 25 मई को राहुल गांधी द्वारा अचानक पद छोडऩे के बाद कांगे्रस पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने में हो रही देरी को लेकर असमंजस बरकरार है। हालांकि इस बात की काफी सम्भावना थी और यह माना जा रहा था कि ‘कार्यकारी अध्यक्ष’ चुनने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति इस हफ्ते बैठक करेगी ताकि पार्टी की गतिविधियों का संचालन सुचारू रूप से हो सके लेकिन राहुल गांधी अचानक अमरीका चले गए। वहां से वापस लौटने पर भी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक जल्दी होने के कोई आसार नहीं हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि शायद सी.डब्ल्यू.सी. की बैठक जल्दी न हो। 
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इन सूत्रों का कहना है कि कार्यकारी अध्यक्ष चुनने के लिए यू.पी.ए. चेयरपर्सन सोनिया गांधी किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। वह राहुल गांधी को अपने इस्तीफे पर विचार करने के लिए पर्याप्त समय देना चाहती हैं। उनका मानना है कि राहुल गांधी ने 23 मई को आए लोकसभा चुनाव परिणामों में पार्टी की करारी हार को देखते हुए गुस्से और आवेश में आकर इस्तीफा दिया है। 
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राहुल गांधी बहुत गुस्से में थे क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी कम से कम 150 लोकसभा सीटें जीतेगी। उनका यह अनुमान डाटा एनालिटिक्स हैड प्रवीण चक्रवर्ती पर आधारित था जिन्होंने राहुल को लक्ष्य प्राप्ति के प्रति आश्वस्त किया था। बहुत से प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी से कहा था कि उनके राज्यों में पार्टी काफी सीटें जीतेगी। यही कारण था कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में वह भड़क गए और उन लोगों को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया और यह उम्मीद जताई कि वे लोग भी ऐसा ही करेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
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अब सोनिया गांधी ने अप्रत्यक्ष तौर पर पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली है हालांकि बाहरी तौर पर उन्होंने ऐसा नहीं कहा है। सभी निर्णय ए.आई.सी.सी. महासचिव संगठन प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल द्वारा लिए जा रहे हैं जो सभी महत्वपूर्ण विषयों पर सोनिया गांधी की सलाह लेते हैं। चाहे पार्टी की महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ इकाई के प्रमुखों की नियुक्ति का मामला हो अथवा अन्य पी.सी.सी. प्रमुखों के बने रहने का मामला, सोनिया की सहमति जरूरी है।
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यह सोनिया गांधी ही थीं जिन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू को चुप रहने को कहा था तथा कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को उनका इस्तीफा स्वीकार करने की अनुमति दी थी। ऐसा लगता है कि कम से कम अगस्त के पहले हफ्ते तक पार्टी को नया कार्यकारी अध्यक्ष चुनने की कोई जल्दबाजी नहीं है।

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