कांग्रेस ने मोदी सरकार पर लगाया आरोप, कहा- राफेल सौदे में की राष्ट्रहित की अनदेखी

Edited By Yaspal,Updated: 12 Aug, 2018 10:47 PM

congress accuses modi allegations ignoring national interest in rafael deal

कांग्रेस ने राफेल सौदे को लेकर आज मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उस पर राष्ट्रहित की अनदेखी करने तथा साठगांठ वाले पूंजीवाद और अपने हितों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

नई दिल्लीः कांग्रेस ने राफेल सौदे को लेकर आज मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उस पर राष्ट्रहित की अनदेखी करने तथा साठगांठ वाले पूंजीवाद और अपने हितों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार इसका जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं कि क्यों 41,205 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सरकारी धन लड़ाकू विमानों पर खर्च किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री पर ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया।

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विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि दसाल्ट एविएशन की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट और रिलायंस डिफेंस के एक प्रेस बयान के अनुसार करोड़ों रूपये के आफसेट ठेके के लिए रिलायंस डिफेंस को स्थानीय साझेदार के तौर पर चुना गया। रिलायंस डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने एक बयान में कहा कि उसने या रिलायंस समूह की किसी भी कंपनी ने 36 राफेल विमानों के संबंध में वर्तमान तिथि तक रक्षा मंत्रालय से कोई ठेका प्राप्त नहीं किया है।  कंपनी ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से निराधार और गलत है। उसने यह भी दावा किया कि किसी भी नियम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है या दसाल्ट रिलायंस एविएशन लिमिटेड (डीआरएएल) से कोई तरजीही व्यवहार नहीं हुआ है जो कि राफेल आफसेट ठेके को पूरा करने के लिए बनायी गई एक संयुक्त उपक्रम कंपनी है।

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कांग्रेस नेता प्रियंका ने हालांकि प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने पेरिस में 36 लड़ाकू विमानों की तैयार हालत में खरीद संप्रग सरकार की ओर से बातचीत के जरिये तय की गई कीमत से कहीं अधिक दर पर करने की घोषणा की। कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक बयान में कहा, ‘‘राफेल एक घोटाला है और सरकार घोटाले में शामिल है। भारतीय ठगा सा महसूस कर रहे हैं जबकि भाजपा ने सुनिश्चित किया कि साठगांठ वाला पूंजीवाद फले-फूले। भारत के हितों की रक्षा की बजाय मोदी सरकार अपने हितों की रक्षा करने में जुटी है।’’

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चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने पेरिस में 10 अप्रैल, 2015 को 7.5 अरब यूरो (1670.70 करोड़ रुपये) प्रति राफेल की दर से 36 (तैयार हालत में) राफेल विमानों की खरीद की घोषणा की। इस प्रकार 36 राफेलों का कुल मूल्य 60,145 करोड़ रुपये है।’’ भारत ने उड़ान भरने के लिए बिल्कुल तैयार 36 राफेल लड़ाकू जेटों के लिए फ्रांस के साथ सरकार से सरकार के बीच सौदा किया था। सत्तारुढ़ भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर विश्वास किया जाना चाहिए।

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शाह ने कहा कि सीतारमण ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा तय राफेल लड़ाकू जेटों की आधार कीमत पिछली संप्रग सरकार द्वारा तय किये गए आधार मूल्य से कम है। हालांकि कांग्रेस नेता ने कहा कि जब 12 दिसम्बर, 2012 को राफेल जेटों के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा खुली थी तब 126 विमानों के लिए संप्रग सरकार द्वारा तय कीमत 526.10 करोड़ रुपये प्रति राफेल थी। संप्रग के सौदे के अनुसार 36 राफेल विमानों की कीमत 18,940 करोड़ रुपये होती। उन्होंने इसको लेकर स्पष्टीकरण मांगा कि लड़ाकू विमानों के लिए जनता का 41,205 करोड़ रूपये अधिक क्यों खर्च किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री संसद के समक्ष इस वाणिज्यक खरीद मूल्य का ब्योरा देने में क्यों अनिच्छुक हैं। उधर, सरकार कह चुकी है कि भारत और फ्रांस के बीच 2008 के समझौते में गोपनीयता उपबंध उसे राफेल लड़ाकू जेटों की खरीद मूल्य का ब्योरा देने से रोकता है।

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