Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Jan, 2019 11:06 AM
दिल्ली की सियासत में तेजी से बदलाव होता दिख रहा है। कांग्रेस की नई प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के साथ ही लोकसभा चुनाव की भी बिसात बिछनी शुरू हो जाएगी।
नई दिल्ली (अशोक कुमार): दिल्ली की सियासत में तेजी से बदलाव होता दिख रहा है। कांग्रेस की नई प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के साथ ही लोकसभा चुनाव की भी बिसात बिछनी शुरू हो जाएगी। कांग्रेस के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन का इस्तीफा मंजूर होने और आम आदमी पार्टी के पंजाब विधायक एचएस फुल्का के पार्टी छोड़ने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन हो चुका है और अब केवल सीटों को बंटवारा होना बाकी है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि कांग्रेस संसद में अपनी साख को बढ़ाने और भाजपा को सत्ता से अलग करने के लिए कोई मौका नहीं चूकना चाहती।
अजय माकन का प्रदेश संगठन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना भी इसी का एक कारण माना जा रहा है। अब प्रदेश पार्टी के अध्यक्ष पद पर जिस किसी नेता की नियुक्ति होगी, उसे इस बात पर गौर जरूर करना होगा। लेकिन गठबंधन होने पर दिल्ली से लोकसभा की 7 सीटों में से कांग्रेस के उम्मीदवार कितनी सीटों पर चुनाव लड़ पाएंगे, इस बात का खुलासा तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन समझा जा रहा है कि आप कांग्रेस को अधिक सीटें यानी 2 से अधिक देने के पक्ष में नहीं दिखती। अब बड़ा सवाल यह है कि इस सूरत में कांग्रेस समझौता स्वीकार करेगी या नहीं? इनमें से नई दिल्ली संसदीय सीट पर अजय माकन पहले से ही चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और दूसरी सीट कौन सी होगी। आखिर कांग्रेस दिल्ली में अपने किन-किन पूर्व सांसदों या वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़ने से वंचित रखेगी।
आप के साथ गठबंधन होने और नहीं होने की सूरत में अब पेंच यहां अटका हुआ है कि अगर लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ती है तो उसे इसका पूरा आभास है कि वोटों का बंटवारा होने से दिल्ली में भाजपा एक बार फिर से सातों सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रच सकती है। और यदि गठबंधन करती है तो उसे अगले साल यानी 2020 में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान भी गठजोड़ करना मजबूरी बन जाएगा। उन हालातों में कांग्रेस का दिल्ली में सरकार बनाने का सपना एक तरीके से खत्म हो जाएगा क्योंकि आज की तारीख में जब आप दिल्ली में कांग्रेस को 7 में से 3 सीटेें तक देने के पक्ष में नहीं है, उसका विधानसभा चुनाव में 70 में से एक तिहाई से अधिक सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को चुनाव लडऩे के लिए नहीं देना चाहेगी। इतना ही नहीं, कांग्रेस को चुनाव लडऩे के लिए केवल वही विधानसभा क्षेत्र दिए जाएंगे, जहां भाजपा का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या इस सूरत में कांग्रेस गठजोड़ करने के लिए सहमत होगी।
ताजा सर्वे
ताजा खबर यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में आप और कांग्रेस के संभावित गठजोड़ को लेकर ‘आज-तक’ चैनल द्वारा एक सर्वे कराया गया है। उसमें 39 प्रतिशत लोगों ने इसका समर्थन किया है जबकि 40 प्रतिशत लोगों ने इसका विरोध किया है।
चाको ने खबरों को प्लांटेड बताया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से अजय माकन और आप से एचएस फुल्का द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच गठजोड़ होने की संभावनाएं बलवती हो रही हंै। कांग्रेस के नेता इसे लेकर मौन हैं लेकिन शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने इन संभावनाओं का खंडन करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। इस तरह की खबरेें आम आदनी पार्टी के नेताओं द्वारा ‘प्लांट’ करवाई जा रही हैं।