अपनी विचारधारा थोपने के लिए समान नागरिक संहिता चाहता है संघ: जयराम

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2016 04:26 PM

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज आरोप लगाया कि संघ की समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की मांग तो दरअसल एक ‘‘आड़’’ है जिसके पीछे संघ की मंशा महिलाओं के अधिकारों को लेकर हिंदू पर्सनल लॉ.....

हैदराबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज आरोप लगाया कि संघ की समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की मांग तो दरअसल एक ‘‘आड़’’ है जिसके पीछे संघ की मंशा महिलाओं के अधिकारों को लेकर हिंदू पर्सनल लॉ और अपनी विचारधारा को थोपना है।  यूसीसी के मुद्दे पर रमेश ने कहा, ‘‘महिलाओं के भी पुरूषों के समान अधिकार होने चाहिए। चलिए इसी नियम को मानते हुए हम शुरूआत करते हैं। विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मुद्दों में महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। जब ये मूलभूत नियम स्थापित हो जाएेंगे तो फिर हम आगे बढ़ेंगे।’’  

जून माह में कानूनी मामलों के विभाग ने विधि आयोग से समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर रिपोर्ट जमा करने को कहा था।  पूर्व कंेद्रीय मंत्री रमेश ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘समान नागरिक संहित की मांग तो हिंदू पर्सनल लॉ थोपने के लिए आड़ है। यह मूलभूत रूप से महिला विरोधी है और इसमें सुधार करके इसे ज्यादा से ज्यादा महिला समर्थक बनाया गया है।’’  उन्होंने आगे कहा, ‘‘लेकिन यह मानना कि पर्सनल लॉ महिलाओं के हित में है तो यह बात तथ्यों के ठीक विपरित मालूम पड़ती है। इसलिए दुर्भाग्य से समान नागरिक संहिता महिलाओं के अधिकारों को लेकर संघ की विचारधारा को थोपने का जरिया बन गई है।’’ 

राज्यसभा सदस्य रमेश ने कहा, ‘‘इसलिए इसे समान नागरिक संहिता नहीं कह कर लैंगिक समानता संहिता कहा जा सकता है। आप इसे लैंगिक समानता प्रणाली या कानून कह सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से समान नागरिक संहिता हिंदू कानून के मुताबिक समानता को लागू करना है और मैं व्यक्तिगत रूप से इससे सहमत नहीं हूं।’’ 

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