Edited By Monika Jamwal,Updated: 07 Aug, 2018 01:25 PM
आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35 ए सरकार के लिए सियासत का विषय बना हुआ है। आर्टिकल 35-ए की वैधता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है।
श्रीनगर : आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35 ए सरकार के लिए सियासत का विषय बना हुआ है। आर्टिकल 35-ए की वैधता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। इसी मामले को लेकर कश्मीर में दो दिन की हड़ताल का अलगाववादियों ने आह्वान किया है। इस मामले पर कांग्रेस नेता तारिक हमीद ने कहा कि यदि संविधान से उसकी मान्यता हटा दी जाए, तो जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान का अंग नहीं रहेगा। वह आजाद कश्मीर बन जाएगा। एक साक्षात्कार में तारिक हामिद कर्रा ने बताया कि आजादी के कुछ समय बाद तक भी कश्मीर, आजाद कश्मीर (एक अलग देश) के रूप में था। आर्टिकल 370 की वजह से कश्मीर भारत से जुड़ा हुआ है। तारिक हमीद कर्रा का कहना है ये पहला मौका नहीं है, जब आर्टिकल 35 ए को कोर्ट में चुनौती दी गई है।
इससे पहले भी 2 बार 5 जजों की बेंच इस पर अपना फैसला सुना चुकी है। वे फैसला स्टेट के पक्ष में आए थे और 35ए की संवैधानिक मान्यता बरकरार रही थी। तारिक हमीद का कहना है कि 35ए कोई खैरात में नहीं मिला है, जो प्रावधान इस आर्टिकल में मौजूद है। यह पहले से ही महाराजा हरि सिंह की तरफ से हमें मिला हुआ था। जब भारत आजाद हुआ था, तो जम्मू-कश्मीर एक आजाद देश के तौर पर था। पहले भारत का हिस्सा नहीं था, लेकिन अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान की कश्मीर पर बदनीयती और ज्यादती की वजह से भारत यू.एन गया।
तारिक ने कहा कि उस दौर में ऐसे 60 से ज्यादा फैसले जम्मू-कश्मीर को लेकर संसद के बजाय राष्ट्रपति के स्तर पर हुए हैं। यदि ये आर्टिकल हटा देते हैं, तो राष्ट्रपति के स्तर पर हुए इन सब फैसलों को रद्द करना पड़ेगा। इसके परिणाम स्वरूप जम्मू कश्मीर भारत से बिल्कुल अलग हो जाएगा। बता दें कि जम्मू कश्मीर के स्पेशल राज्य का दर्जा देने वाली संविधान के आर्टिकल 35 ए के संवैधानिक स्टेटस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जम्मू कश्मीर के कांग्रेस नेता और कांग्रेस विर्किंग कमिटी के मेंबर तारिक हमीद करा इसका विरोध कर रहे हैं।
हालांकि मामले की सुनवाई 27 अगस्त तक के लिए टल गई है। मामला 3 जजों की बेंच के पास है। 35ए ओर पांच जजों की संवैधानिक पीठ पहले ही फैसला सुना चुकी है। ऐसे में उम्मीद यही जताई जा रही है कि अगर इस पेटिशन की मेरिट बनाती है तो ये मामला एक बार फिर सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ के पास जाएगा।