संकट में कांग्रेस, कहीं रह न जाए मिशन 2019 अधूरा!

Edited By vasudha,Updated: 23 May, 2018 05:54 PM

congress mission 2019 can be incomplete

कांग्रेस कर्नाटक में मिली सियासी जीत के बाद 2019 लोकसभा की तैयारी में जुट गई है। वह मोदी सरकार को मात देने के लिए विपक्ष को एकजुट करने में पूरी ताकत झोंक रही है। लेकिन कांग्रेस की राह इतनी आसान नहीं दिखाई दे रही है...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस कर्नाटक में मिली सियासी जीत के बाद 2019 लोकसभा की तैयारी में जुट गई है। वह मोदी सरकार को मात देने के लिए विपक्ष को एकजुट करने में पूरी ताकत झोंक रही है। लेकिन कांग्रेस की राह इतनी आसान नहीं दिखाई दे रही है। दरअसल पार्टी इस समय आर्थिक संकट से जूझ रही है। ऐसे में कांग्रेस का 2019 में मोदी सरकार को मात देने का सपना अधूरा नजर आ रहा है। 
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फंड की कमी से जूझ रही पार्टी
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार भाजपा की कमाई बीते एक साल के दौरान 81 फीसदी बढ़ी वहीं कांग्रेस की कमाई में 14 फीसदी की गिरावट आई है। कांग्रेस को फंड की इतनी दिक्कत हो गई है कि पार्टी ने कई राज्य में अपने कार्यालय चलाने के लिए भेजे जाने वाले फंड पर रोक लगा दी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार संकट से उबरने के लिए कार्यकर्ताओं से योगदान का आग्रह किया गया है। साथ ही पदाधिकारियों से खर्चों में कटौती करने को भी कहा गया है। 

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भाजपा के मुकाबले नहीं मिल रही फंडिंग
रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुआई में उद्योगपतियों से पार्टी को मिलने वाला फंड काफी कम हुआ है। कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया डिपार्टमेंट की हेड दिव्या स्पंदना ने इस बात को कबूल किया कि उनके पास फंड नहीं है। उनके मुताबिक भाजपा के मुकाबले इलेक्टोरल फंड के जरिए कांग्रेस को फंडिंग नहीं मिल रही है। यही वजह है कि कांग्रेस को ऑनलाइन सोर्स के जरिए पैसा जुटाना पड़ सकता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक फंड की कमी का असर चुनाव प्रचार और संगठन की गतिशीलता पर दिखाई दे रहा है। पार्टी इस समस्या से निपटने के लिए काम कर रही है। 
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चुनाव प्रचार पर खर्चे कमाई से अधिक 
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संस्थापक और ट्रस्टी जगदीप छोकार के मुताबिक बिना चुनावी फंडिंग के कांग्रेस को 2019 में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। वहीं एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान बीजेपी ने चुनाव और प्रचार के लिए कुल 606.64 करोड़ रुपये खर्च किए। इस दौरान भाजपा ने लगभग 70 करोड़ रुपये प्रशासनिक कार्यों के लिए खर्च किए। वहीं कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के लिए लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च किए और प्रशासनिक कार्यों के लिए उसे लगभग 115 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। लिहाजा कांग्रेस ने इस साल अपनी कमाई से अधिक खर्च करने का भी काम किया।
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राजनीतिक चंदे में भाजपा को मिली बढ़त 
इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि राजनीतिक चंदा हासिल करने के मामले में भाजपा ने रिकॉर्ड तोड़ बढ़त हासिल की है। फाइनैंशल इयर 2016-17 में 81 पर्सेंट की ग्रोथ के साथ भाजपा ने सबसे ज्यादा 1,034 करोड़ रुपये कमाए। 7 राष्ट्रीय दलों में से उसकी अकेले की कमाई अन्य 6 पार्टियों को मिलाकर भी दोगुनी है। भाजपा, कांग्रेस, बीएसपी, तृणमूल, सीपीएम, सीपीआई और एनसीपी जैसे राष्ट्रीय दलों को कुल 1,559 करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले हैं। इसमें करीब दो तिहाई हिस्सा भाजपा को ही मिला है। 

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