Edited By Anil dev,Updated: 07 Jul, 2020 12:21 PM
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन द्वारा गलवान घाटी में पीछे हटने की खबर के बीच एकबार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लद्दाख में चीन की सेना के पीछे हटने और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की विदेश मंत्री मंत्री वांग यी से...
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन द्वारा गलवान घाटी में पीछे हटने की खबर के बीच एकबार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लद्दाख में चीन की सेना के पीछे हटने और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की विदेश मंत्री मंत्री वांग यी से बातचीत को लेकर 3 सवाल उठाए हैं।
1. यथास्थिति को लेकर दबाव क्यों नहीं डाला गया है?
2. चीन हमारे भूभाग में 20 निहत्थे जवानों की हत्या को सही कैसे ठहरा पा रहा है?
3. गलवान घाटी में हमारी क्षेत्रीय संप्रुभता का जिक्र क्यों नहीं है
गलवान घाटी से तंबू हटा रही चीनी सेना, पीछे हटते दिखे चीनी सैनिक
आपको बतां दे कि पूर्वी लद्दाख में तनाव कम होने का पहला संकेत मिला है जहां चीन की सेना ने गलवान घाटी के कुछ हिस्सों से तंबू हटा लिए हैं और सैनिकों को पीछे हटते देखा गया। सरकारी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि दोनों सेनाओं के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता के दौरान हुए समझौते के तहत यह हो रहा है। गलवान घाटी ही वह जगह है जहां दोनों देश की सेनाओं के बीच 15 जून को हिंसक झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। सूत्रों ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी गश्त बिंदु 14 पर लगाए गए तंबू एवं अन्य ढांचे हटाते हुए देखी गई है। साथ ही बताया कि गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके में भी चीनी सैनिकों के वाहनों की इसी तरह की गतिविधि देखी गई है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के कोर कमांडर स्तर की बातचीत में बनी सहमति के तहत चीनी सैनिकों ने इलाके से पीछे हटना शुरू किया है।
सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी में गश्त बिंदु 14 से ढांचों एवं सैनिकों के पीछे हटने का स्पष्ट संकेत है और कहा कि वे इलाके में एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक पीछे हट सकते हैं। उन्होंने कहा कि तत्काल यह पता लगाना संभव नहीं है कि चीनी सैनिक कितनी दूर तक पीछे हट रहे हैं क्योंकि उचित सत्यापन प्रक्रिया के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। गलवान घाटी में हिंसक झड़प, गश्त बिंदु 14 के पास चीन द्वारा सर्विलांस चौकी स्थापित करने के भारतीय सैनिकों के विरोध के बाद हुई थी। यह तत्काल नहीं पता चल सका है कि तनाव कम करने की यह पहल पेगोंग सो इलाके में भी शुरू हुई है या नहीं, जहां चीन ने काफी हद तक अपनी मौजूदगी बढ़ा ली है खासकर फिंगर 4 और फिंगर 8 में।