आर्थिक अव्यवस्था को ठीक करने PM मोदी को RBI से चाहिए 3.6 लाख करोड़ रुपए: राहुल

Edited By Anil dev,Updated: 06 Nov, 2018 05:58 PM

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक मीडिया रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री को अपने विलक्षण आर्थिक सिद्धांतों के कारण फैली अव्यवस्था' को ठीक करने के लिए अब रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपए की बड़ी...

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक मीडिया रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री को अपने विलक्षण आर्थिक सिद्धांतों के कारण फैली अव्यवस्था' को ठीक करने के लिए अब रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपए की बड़ी राशि की जरूरत पड़ गई है। एक अखबार की रपट में दावा किया गया है कि सरकार रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपए की मांग कर रही है।  कांग्रेस अध्यक्ष ने रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से भी कहा है कि वह प्रधानमंत्री के समक्ष डट कर खड़े हों और 'देश की रक्षा करें'।
गांधी के आरोपों पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।  

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कांग्रेस अध्यक्ष ने मीडिया में प्रकाशित खबर को पोस्ट कर उसके साथ ट्वीट किया है, "36,00,00,00,00,000 रुपए। यह वह राशि है जो प्रधानमंत्री को अपने विलक्षण आर्थिक सिद्धांत से फैली अव्यवस्था को ठीक करने के लिए आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) से चाहिए। पटेल जी, आप उनके सामने डट कर खड़े हों। देश को बचाएं।" खबर में दावा किया गया है कि आरबीआई-सरकार के बीच गतिरोध वित्त मंत्रालय के उस प्रस्ताव को लेकर पैदा हुआ है, जिसमें सरकार रिजर्व बैंक की बचत से 3.6 लाख करोड़ रुपए लेना चाहती है जो केंद्रीय बैंक की 9.59 लाख करोड़ रुपए की आरक्षित राशि के एक-तिहाई से अधिक है। गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी दबंगई की नीति से संस्थाओं को बर्बाद कर रही है। 
 

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आरबीआई के एक डिप्टी गवर्नर द्वारा केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर चिंता जताए जाने के बाद मोदी सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मतभेद पिछले दिनों सार्वजनिक हो गए हैं। डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि जो सरकारें अपने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करतीं, उन्हें देर-सबेर 'बाजारों के आक्रोश' का सामना करना पड़ता है। इसके जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा कि आरबीआई अधिनियम के तहत केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता आवश्यक है और इसे अच्छे संचालन के लिए अनिवार्य माना गया है। सरकार और केंद्रीय बैंक, दोनों को ही सार्वजनिक हित में और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरत को ध्यान में रख कर काम करना चाहिए।     
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