Edited By Pardeep,Updated: 06 Oct, 2020 04:38 AM
कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की सलाह पर काम करते हुए कांग्रेस शासित राज्य हाल ही में लागू कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधेयक पेश करने की राह पर हैं। पार्टी के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ...
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की सलाह पर काम करते हुए कांग्रेस शासित राज्य हाल ही में लागू कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधेयक पेश करने की राह पर हैं। पार्टी के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व ने राज्य सरकारों को मॉडल बिल का मसौदा भेजा है, जिसके एक विशेष सत्र बुलाकर विधानसभाओं में पारित होने की संभावना है।
मसौदा विधेयक में पार्टी शासित राज्यों को नए कृषि कानूनों के खिलाफ और यह सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए कि किसी भी किसान को उसकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) से कम कीमत न मिले, इस विधेयक को ‘किसान अधिकार और विशेष सुरक्षा प्रावधान विधेयक 2020’ नाम दिया गया है।
विधेयक में राज्य सरकार द्वारा यह तय किया जाएगा कि राज्य में कृषि कानून कब लागू होंगे। किसी भी प्राइवेट एजैंसी को एम.एस.पी. से कम की फसल खरीदने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसा लगता है कि इस विधेयक से कांग्रेस किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कांग्रेस मॉडल दिखाने की कोशिश कर रही है। यदि कांग्रेस अन्य गैर-भाजपा राज्यों को इन बिलों को पारित करने के लिए मनाने में सफल होती है तो यह पार्टी की बड़ी जीत होगी।
पार्टी ने कानूनों के खिलाफ एक बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया है। राहुल गांधी पंजाब में खेती बचाओ यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसे दिल्ली होते हुए हरियाणा में आयोजित किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि संसद में कृषि विधेयकों को पेश करने से पहले केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से चर्चा नहीं की। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के इस कदम से भारतीय लोकतंत्र की संघीय संरचना पर बहस को भी धक्का लगेगा क्योंकि यह प्रकरण केंद्र बनाम राज्य का प्रतीत होता है।