Edited By Yaspal,Updated: 28 Sep, 2020 06:30 PM
मानसून सत्र में पास हुए कृषि बिलों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विपक्ष के विरोध के बावजूद अपनी स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही अब ये विधियक कानून बन गए हैं। इस बीच, कांग्रेस अध्यध सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित प्रदेश से कहा कि केंद्र के कृषि...
नई दिल्लीः मानसून सत्र में पास हुए कृषि बिलों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विपक्ष के विरोध के बावजूद अपनी स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही अब ये विधियक कानून बन गए हैं। इस बीच, कांग्रेस अध्यध सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित प्रदेश से कहा कि केंद्र के कृषि विधेयकों को खारिज करने के लिए कानूनी विकल्प पर विचार करें। कृषि बिल को लेकर किसानों और विपक्षी पार्टियों का विरोध प्रदर्शन जारी है। जहां एक तरफ प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस इसे लेकर सड़कों पर हैं वहीं दूसरी तरफ एनडीए के सहयोगी इसके खिलाफ आवाज बुंदल किए हुए है।
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार (27 सितंबर) को तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी दी, जिनके चलते इस समय एक राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है और खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं गजट अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी।
ये विधेयक हैं-
- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020,
- किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020
एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल ने इस मुद्दे को लेकर पहले कैबिनेट से इस्तीफा दिया और फिर एनडीए से अलग होकर अपना विरोध जताया है। अकाली दल ने कृषि विधेयकों को किसानों, खेत मजदूरों और आढ़तियों के खिलाफ बताया और सभी राजनीतिक दलों से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के संपूर्ण हित में हम हर संघर्ष के लिए तैयार हैं।