Edited By rajesh kumar,Updated: 09 Jun, 2022 02:34 PM
कांग्रेस ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दिए जाने के बाद इसे किसानों के साथ ‘विश्वासघात'' करार देते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि सरकार अन्नदाताओं की उपज को समर्थन...
नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दिए जाने के बाद इसे किसानों के साथ ‘विश्वासघात' करार देते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि सरकार अन्नदाताओं की उपज को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही है। इसके साथ ही उसने आरोप लगाया कि लागत बढ़ाकर किसानों की आमदनी को आधा कर दिया गया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘एक बार फिर मोदी सरकार ने खरीफ़ फसलों के 2022-23 के समर्थन मूल्य घोषित करने में देश के किसानों के साथ घोर विश्वासघात किया है। किसान की आमदनी बढ़ाना तो दूर, किसान का दर्द सौ गुना बढ़ा दिया है।''
उन्होंने दावा किया कि एक तरफ़ सरकार पर्याप्त मात्रा में फसल नयूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं खरीद रही है, वहीं दूसरी ओर लागत बढ़ाकर किसानों की आमदनी को आधा कर दिया है। उनके मुताबिक, हाल ही में रिजर्व बैंक ने बताया कि देश में महंगाई की दर 6.7 प्रतिशत होकर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दूसरी ओर सरकार ने खरीफ़ फ़सलों के जो समर्थन मूल्य जारी किए हैं, वह उस महंगाई दर की वृद्धि से भी कम है। सुरजेवाला ने एमएसपी से जुड़ा एक चार्ट जारी करते हुए कहा, ‘‘सामान्य तौर पर केंद्र सरकार गेहूं और धान समर्थन मूल्य पर खरीदती है, बाकी समर्थन मूल्य के लिए घोषित फ़सलों में नाम मात्र की खरीद की जाती है।'' उनका कहना है, ‘‘एनएसएसओ ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में बताया था कि किसानों की औसत आमदनी 27 रुपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज 74,000 रुपये हो गया है।
बीते तीन साल में 67 हजार करोड़ रुपये कृषि बजट के खर्च ही नहीं किए
मोदी सरकार को किसानों से सरोकार है तो सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित करने की औपचारिकता का छलावा करने की अपेक्षा वह समर्थन मूल्य का कानून बनाए।'' सुरजेवाला ने कहा, ‘‘सरकार ने छह साल पहले 2016 में किसानों के साथ फसलों के दाम दो गुना करने का छलावा किया था, उसकी पोल खुद कृषि से संबंधित संसदीय समिति ने खोल दी। उसने बताया कि सरकार की आमदनी दोगुनी करने की घोषणा बहुत दूर की कौड़ी है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लगातार कृषि बजट का प्रतिशत कुल बजट में कम कर रही हैं और बीते तीन साल में 67 हजार करोड़ रुपये कृषि बजट के खर्च ही नहीं किए गए। सरकार ने किसान सम्मान निधि के नाम पर 6,000 रुपये सालाना देने का स्वांग किया और 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर खेती की लागत बढ़ाकर किसानों को लूट लिया।''
खरीफ फसलों के एमएसपी में 4-9 प्रतिशत की वृद्धि
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने कहा, ‘‘डीज़ल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 2014 में 3.56 प्रति लीटर था और उसे बढ़ाकर 15.80 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया। पहली बार खेती पर जीएसटी लगाया गया। ट्रैक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी और ट्रैक्टर के टायर व अन्य पुर्जों पर 18 प्रतिशत जीएसटी है। कीटनाशकों पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी है।'' गौरतलब है कि सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में 4-9 प्रतिशत की वृद्धि की है और धान का एमएसपी 100 रुपये बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। सीसीईए ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए सभी तय 14 खरीफ (गर्मी) फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश के करोड़ों किसानों को सशक्त करने वाला फैसला करार दिया।