उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Jan, 2019 03:59 PM

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उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद कांग्रेस ने रविवार को राज्य की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने बलबूते चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद कांग्रेस ने रविवार को राज्य की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने बलबूते चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। मगर, उसने गठबंधन के दरवाजे अब भी खुले रखते हुए कहा है कि अगर कोई धर्मनिरपेक्ष पार्टी कांग्रेस के साथ चलने को तैयार हो तो उसे अवश्य समायोजित किया जाएगा। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने आज संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और भाजपा को हराएगी।
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  • कांग्रेस 2009 के मुकाबले लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश में मिली सीटों से दोगुनी सीटें जीतेगी।
  • अगर कोई धर्मनिरपेक्ष दल हमारे साथ चलने को तैयार है और कांग्रेस यह समझे कि वह भाजपा से लड़ सकता है तो उसे जरूर समायोजित किया जाएगा।
  • सपा-बसपा गठबंधन में शामिल नहीं किए जाने के बारे में पूछने पर आजाद कहा कि वह चाहते थे कि उत्तर प्रदेश में बनने वाले गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल हो लेकिन अगर कोई साथ नहीं चलना चाहता है तो इसमें कुछ नहीं किया जा सकता।
  • आजाद ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि महागठबंधन ने कांग्रेस से तालमेल नहीं होने के बावजूद उसके लिए अमेठी और रायबरेली की सीटें छोड़ दी हैं तो क्या उसके एवज में कांग्रेस मायावती और अखिलेश की उम्मीदवारी वाली सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी?
  • चुनाव के बाद सपा बसपा से गठबंधन के सवाल पर आजाद ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस सभी धर्मनिरपेक्ष क्षेत्रीय पार्टियों का स्वागत करेगी।
  • सपा-बसपा गठबंधन में जगह नहीं मिलने से कांग्रेस के कार्यकर्ता कतई निराश नहीं हैं, बल्कि वह कह रहे हैं कि पहले शायद 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ते, मगर अब 80 सीटों पर लड़ेंगे।
  • कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सूबे में कम से कम 13 सभाएं करेंगे।
  • आजाद ने भाजपा पर सत्ता के लिए देश को तोड़ने की कोशिश करने और जनता से किए गए तमाम वादे पूरे ना करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव भारत को एकजुट करने और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की लड़ाई है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की नहीं, अपनी कुर्सी की फिक्र है। इस सरकार ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया। सबसे बड़े घोटाले इसी सरकार के शासनकाल में हुए हैं। सरकार ने इसकी जांच नहीं कराई। जांच नहीं कराने का मतलब यह नहीं है कि घोटाला नहीं हुआ।
  • कांग्रेस ने देश के लिए हमेशा त्याग किया है। आजाद ने जम्मू-कश्मीर में शेख अब्दुल्ला को शक्ति देने और मिजोरम में उग्रवाद खत्म करने के लिए सत्ता त्यागने के उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने गरीबों, किसानों, पिछड़ों और दलितों के हितों की लड़ाई तो आजादी से पहले ही शुरू कर दी थी। उसके बाद भी कांग्रेस लगातार इसी विचारधारा पर चली है।

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उल्लेखनीय है कि बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की तरफ से शनिवार को संयुक्त प्रैस कांफ्रैंस में बसपा प्रमुख मायावती ने घोषणा की कि दोनों पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि 2 सीटें अन्य दलों के लिए छोड़ी गई हैं।

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बसपा प्रमुख ने कहा कि अमेठी और रायबरेली की सीटें राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए छोड़ी गई हैं, क्योंकि कहीं ऐसा न हो जाए कि भाजपा के लोग उन्हें अमेठी और रायबरेली में ही उलझा दें। मायावती ने कहा कि इस गठबंधन से ‘गुरु-चेला’ (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) की नींद उड़ गई है। यह सिर्फ 2 पार्टियों का मेल नहीं है बल्कि सर्वसमाज (दलित, पिछड़ा, मुस्लिम, आदिवासी, गरीबों, किसानों और नौजवानों) का मेल है। बसपा और सपा ने 1993 में आपस में मिलकर सरकार बनाई थी। मायावती ने कहा कि गठबंधन ‘स्थायी’ है।

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