2019 के चुनावों में कांग्रेस जीत दर्ज करेगी : राहुल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jun, 2018 01:04 PM

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अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति सम्मेलन के बाद कांग्रेस का ओ.बी.सी. विभाग अब 11 जून को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।

नेशनल डेस्कः अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति सम्मेलन के बाद कांग्रेस का ओ.बी.सी. विभाग अब 11 जून को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने कांग्रेस के सारे विंग को परामर्श दिया है कि वह खुद को संगठित एवं सक्रिय करें। क्योंकि भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में मात्र 31 प्रतिशत वोट मिले थे और शेष 69 प्रतिशत इसके विरुद्ध गए थे तथा यदि कांग्रेस के सारे विंग सक्रिय हो जाएंगे तो आगामी विधानसभा तथा 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस निश्चय ही जीत दर्ज करेगी।

जद (यू) मुश्किल में
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव में जद (यू) के भविष्य के बारे में ङ्क्षचतित हैं। वह नहीं जानते कि भाजपा उनकी पार्टी को कितनी सीटें देगी। दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव का राजद तथा कांग्रेस अन्य हमख्याल पार्टियों के साथ मिल कर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। गत लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 29 पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जबकि राम विलास पासवान की लोजपा ने 7 सीटों पर और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी आर.एल.एस.पी. ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

इन 29 सीटों में से भाजपा ने 22 पर, लोजपा ने 6 पर और आर.एल.एस.पी. ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी। नीतीश बाबू जद (यू) के लिए 25 सीटें चाहते हैं। जबकि शेष 15 सीटें और अन्य गठबंधन सहयोगियों को मिलेंगी। राम विलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा की उपस्थिति में जद (यू) को 25 सीटें नहीं मिल सकतीं। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार भाजपा-लोजपा-आर.एल. एस.पी. के पास वर्तमान लोकसभा में कुल मिलाकर 31 सीटें हैं। ऐसे में वह केवल शेष 9 सीटें ही जद (यू) की झोली में डाल सकते हैं।

जद (यू) ने पटना में पार्टी की मीटिंग बुलाई है और घोषणा की है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जद (यू) 25 सीटें चाहता है। दूसरे नम्बर पर वह चाहता है कि बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बजाय नीतीश बाबू को चुनाव का चेहरा बना कर पेश किया जाए। भाजपा का इन शर्तों पर सहमत होना मुश्किल है, इसलिए वह लोकसभा चुनाव से पहले ही जद (यू) के साथ गठबंधन तोड़ सकती है। इसके साथ ही नीतीश बाबू को यह चिन्ता सता रही है कि यदि वह भाजपा के साथ  आगामी लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो अल्पसंख्यक वोट उनकी पार्टी से टूट जाएंगे। ऐसी खबरें गर्म हैं कि नीतीश बाबू 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी का वजूद बचाने के प्रयास कर रहे हैं।

ममता बनर्जी भी परेशान
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अब ङ्क्षचतित हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए रात-दिन एक कर रही हैं। पंचायत चुनावों के नतीजे आने के बाद उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों की चिन्ता करनी शुरू की और एक नए जिले का सृजन किया तथा पहाड़ी क्षेत्र को कई नई परियोजनाओं का उपहार दिया। बेशक तमकां ने भारी  अंतर से पंचायती चुनाव जीते हैं तो भी जंगलमहल इलाके को लेकर ममता ङ्क्षचतित है। यही कारण है कि वह अब इसी क्षेत्र में ध्यान एकाग्र कर रही हैं।

किसी जमाने में जंगलमहल इलाका माओवादियों का गढ़ हुआ करता था, लेकिन पिछले चुनाव में यहां तमकां को भारी समर्थन मिला था। ताजा पंचायत चुनाव में इस इलाके में भाजपा का मजबूत गढ़ देखने को मिला है। यही कारण है कि पंचायत चुनावों के बाद ममता बनर्जी ने तत्काल अपने 3 मंत्रियों की छुट्टी कर दी और इस इलाके से संबंध रखने वाले अन्य कई मंत्रियों के विभाग बदल दिए।

पुरुलिया, बांकुरा और पश्चिम मेदनीपुर जिले जंगलमहल क्षेत्र में आते हैं और यहां अधिकतर आबादी आदिवासी है। ममता ने आदिवासी विकास मंत्रालय का विभाग स्वयं संभाल लिया है और यह भी दावा कर रही हैं कि उन्होंने चूड़ामणि महतो, जेम्स कुजुर और अबाणिमोहन जोरदार को पद से हटा दिया है और अब वे इस क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस के संगठन की निगरानी करेंगे। वह आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर ङ्क्षचतित हैं इसलिए केन्द्र में भाजपा को अपदस्थ करने में कुंजीवत भूमिका अदा करना चाहती है।

कांग्रेस की इफ्तार पार्टी का आयोजन करेंगे राहुल गांधी
2 वर्ष के अंतराल के बाद कांग्रेस पार्टी 13 जून को इफ्तार पार्टी का आयोजन करेगी, जिसके यजमान पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी होंगे। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार यू.पी.ए. के सभी घटकों को आमंत्रित किया गया है। राहुल गांधी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद इफ्तार आयोजित करने का यह पहला मौका होगा। 2015 में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आखिरी बार इफ्तार की दावत दी थी। परम्परागत रूप में पार्टी इस आयोजन में सभी धर्मों के नेताओं को आमंत्रित करती है।- राहिल नोरा चोपड़ा

 

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