Edited By Anil dev,Updated: 18 Oct, 2019 02:00 PM
गर कभी न हार मानने का जुनून हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है बैजनाथ पारा में रहने वाली 25 साल की तहसीन अम्बर ने जिसने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर फतह हासिल की है।
नई दिल्ली: अगर कभी न हार मानने का जुनून हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है बैजनाथ पारा में रहने वाली 25 साल की तहसीन अम्बर ने जिसने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर फतह हासिल की है।
पुणे के इंस्टीट्यूट से लॉ की पढ़ाई कर रही है तहसीन
पुणे के इंस्टीट्यूट से लॉ की पढ़ाई करने वाली तहसीन ने समुद्र तल से 5,895 मीटर यानी 19 हजार 341 फीट ऊंची चोटी पर तहसीन ने बी जेनरस... यानी बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद करने का संदेश भी दिया। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हड्डियां कंपा देने वाली ठंड के बीच हमारे ग्रुप ने छह दिन में चढ़ाई पूरी की।
ठंड की वजह से जम चुका था पानी
हमारे ग्रुप में कुल चार मेंबर्स थे। इसमें दो ट्रैकर जर्मनी और एक फ्रांस से थे। बिना रोशनी के हमने टॉर्च की रोशनी के सहारे पूरा रास्ता तय करना काफी जोखिम भरा था। जो पानी हमने पीने के लिए रखा था वो भी ठंड की वजह से जम चुका था। हमारे ग्रुप के सदस्य काफी धीरे चल रहे थे जिसकी वजह से काफी इंतजार करना पड़ा। जैसे जैसे वक्त बीत रहा था हम एडवेंचर सफर पर बढ़ते जा रहे थे। आखिर सुबह 10 बजे हम किलिमंजारो की सबसे ऊंची चोटी उहरू पहुंचे।