Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Feb, 2018 09:57 AM
आंध्र प्रदेश में भाजपा और तेदेपा के बीच विवाद बढ़ा है। मौजूदा समय में दोनों दल अपने-अपने हिसाब से विवाद के हल को ढूंढने में लगे हैं। इस विवाद की जड़ वास्तव में गडकरी और आंध्र प्रदेश के सी.एम. चंद्रबाबू नायडू के बीच छिड़ा शीत युद्ध है। यह गडकरी ही...
नेशनल डेस्कः आंध्र प्रदेश में भाजपा और तेदेपा के बीच विवाद बढ़ा है। मौजूदा समय में दोनों दल अपने-अपने हिसाब से विवाद के हल को ढूंढने में लगे हैं। इस विवाद की जड़ वास्तव में गडकरी और आंध्र प्रदेश के सी.एम. चंद्रबाबू नायडू के बीच छिड़ा शीत युद्ध है। यह गडकरी ही हैं जिन्होंने पोलावरम डैम प्रोजैक्ट को बना रहे ठेकेदार को बदलने की नायडू की मांग को ठुकरा दिया। इस संबंध में आंध्र सरकार की कैबिनेट ने कावेरी नदी पर बन रहे इस मैगा प्रोजैक्ट के मुख्य ठेकेदार को बदलने पर विचार किया था। यहां तक कि नायडू ने इस मुख्य ठेकेदार को नोटिस भी भेजा था। गडकरी ने नायडू की मांग को यह कह कर ठुकरा दिया कि इससे प्रोजैक्ट की लागत बढ़ जाएगी और निर्माण में देरी हो सकती है।
पोलावरम प्रोजैक्ट पूरी तरह केंद्र द्वारा पोषित है लेकिन इसका प्रशासनिक रख-रखाव राज्य सरकार के अधीन है। मोदी जी इस डैम का उद्घाटन लोकसभा चुनाव से पहले करें इसलिए वह चाहते हैं कि इस प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य एल. एंड टी. जैसी बड़ी कंपनियां करें। गडकरी और नायडू के बीच असली विवाद यही था। इसके बाद केंद्र द्वारा आंध्र के फंड को भी रोक दिया गया। हालांकि जुबानी जंग के बाद मोदी और शाह की मध्यस्थता के चलते मामले को सुलझा लिया गया। बाद में नायडू मान गए कि ठेकेदार को बदलने की कोई जरूरत नहीं है, बशर्ते वह राज्य के हितों का ख्याल रखे।