Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Jun, 2021 12:59 PM
कोरोना वायरस अपने रप बदलता जा रहा है। अब कोरोना का नया रूप सामने आया है और वैज्ञानिकों ने इसे ''डेल्टा प्लस'' या ''एवाई.1'' नाम दिया है। ऐसे अब सबके मन में सवाल हैं कि यह कितना खतरनाक है और कितना कोहराम मचा रखा है। वैज्ञानिकों ने ''डेल्टा प्लस''...
नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस अपने रप बदलता जा रहा है। अब कोरोना का नया रूप सामने आया है और वैज्ञानिकों ने इसे 'डेल्टा प्लस' या 'एवाई.1' नाम दिया है। ऐसे अब सबके मन में सवाल हैं कि यह कितना खतरनाक है और कितना कोहराम मचा रखा है। वैज्ञानिकों ने 'डेल्टा प्लस' को लेकर सवालों के जवाब दिए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में अभी इसको लेकर चिंतित होने की कोई बात नहीं है क्योंकि देश में अब भी इसके बेहद कम मामले हैं। डेल्टा प्लस स्वरूप वायरस के डेल्टा या ‘बी1.617.2’ स्वरूप में उत्परिवर्तित होने से बना है जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।
वायरस के नए स्वरूप के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है, इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है। डेल्टा प्लस उस ‘मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल’ उपचार का रोधी है जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान पुणे में अतिथि शिक्षक विनीता बल ने कहा कि वायरस के नए स्वरूप के कारण एंटीबाडी कॉकटेल के प्रयोग को झटका लगा है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी।
यह नया स्वरूप कितना संक्रामक है, यह इसके तेजी से फैलने की क्षमता को परखने में अहम होगा या इसका उलट भी हो सकता है। टीके की पूरी खुराक ले चुके लोगों के रक्त प्लाज्मा से वायरस के इस प्रकार का परीक्षण करना होगा जिससे पता चलेगा कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे पाता है या नहीं।