Edited By shukdev,Updated: 07 Apr, 2020 06:23 PM
देश दुनिया को अपनी चपेट ले चुका कोरोना वायरस के खिलाफ चिकित्साकर्मी 24 घंटे अपनी सेवाएं दे रहें हैं। उनका एक ही लक्ष्य है, कोरोना को हराना और मरीजों को ठीक करना। ऐसे ही एक डॉक्टर हैं राममूर्ति...
जयपुर: देश दुनिया को अपनी चपेट ले चुका कोरोना वायरस के खिलाफ चिकित्साकर्मी 24 घंटे अपनी सेवाएं दे रहें हैं। उनका एक ही लक्ष्य है, कोरोना को हराना और मरीजों को ठीक करना। ऐसे ही एक डॉक्टर हैं राममूर्ति मीणा। गांव रानौली निवासी और जयपुर के एसएमएस आइसोलेशन के आईसीयू प्रभारी राममूर्ति मीणा अपनी 93 वर्षीय मां भोलादेवी के निधन हो जाने पर भी अन्तिम दर्शन नहीं कर पाए। इतना ही नहीं, दाह संस्कार और शोक में भी शामिल नहीं हो सके।
उन्होंने वीडियो कॉल पर ही अंतिम संस्कार में भागीदारी निभाई। मां से माफी मांगते हुए उन्होंने कहा,'मां, मुझे माफ करना मैं आपकी चिता को अग्नि नहीं दे सका। डॉ मीणा अपना फर्ज मानते हुए दिन रात कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने पर डॉ मीणा ने कहा कि वह कोरोना संक्रमित मरीजों को नहीं छोड़ सकते,कोरोना महामारी से हम सभी को एकजुट होकर लड़ना है। उन्होंने कहा कि पत्नी , बच्चे सभी गांव में हैं।
डॉ.मीणा ने बताया कि पिता रामलाल पटेल ने कहा था कि तुम कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेवा करो, पिताजी व भाईयों ने टेलीफोन पर कहा कि देश संकट के दौर से गुजर रहा है। तुम को बिना शोक किए कोरोना संक्रमितों की सेवा करनी है। परिवार के इसी हौसले की बदौलत ही मुझमें हिम्मत बढ़ गई।