पूर्व RBI गवर्नर सुब्बाराव बोले- कोरोना संकट में 14 फीसदी तक जा सकता है राजकोषीय घाटा

Edited By Yaspal,Updated: 10 May, 2020 05:37 PM

corona may go up to 14 per cent fiscal deficit in crisis d subbarao

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र और राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 13 से 14 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकता है। सुब्बाराव ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लागू...

हैदराबादः भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र और राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 13 से 14 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकता है। सुब्बाराव ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के लिए केंद्र सरकार ने 26 मार्च को जो वित्तीय प्रोत्साहन घोषित किया है, वह ‘अपर्याप्त' है। शहर के मंथन फाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबिनार ‘द चैलेंज ऑफ द कोरोना क्राइसिस-इकनॉमिक डाइमेंशन्स' को संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि केंद्र को अपने कर्ज को सीमित करना होगा। इस तरह के कर्ज के कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। मसलन ब्याज दरें ऊंचाई पर पहुंच सकती हैं। केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.8 प्रतिशत के बराबर वित्तीय पैकेज की घोषणा की है।

सुब्बाराव ने कहा, क्या यह पर्याप्त है? 26 मार्च को जब इसकी घोषणा की गई थी, उस समय भी यह कम था। अब तो यह काफी कम लग रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को तीन मोर्चों पर अपना खर्च बढ़ाने की जरूरत है। सबसे पहले लोगों की आजीविका पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 24 मार्च से लॉकडाउन लागू होने के बाद लाखों परिवारों की स्थिति काफी खराब है। ऐसे में इन परिवारों को समर्थन की जरूरत है क्योंकि इनकी बचत समाप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार के खर्च की पहली चुनौती यह है अधिक से अधिक परिवारों तक मदद पहुंचे। परिवारों को अधिक सहायता दी जाए। वित्त मंत्रालय ने 26 मार्च को 1.70 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इसके तहत गरीबों को अगले तीन माह तक खाद्यान्न और रसोई गैस मुफ्त दी जाएगी।

सुब्बाराव ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार को अधिक खर्च करने की जरूरत है, तो उसे अधिक कर्ज भी लेना होगा। उन्होंने इस विचार से असहमति जताई कि यह असाधारण संकट है इसलिए सरकार खुद को कर्ज की सीमा से बांध नहीं सकती। चालू वित्त वर्ष में केंद्र और राज्य सरकारों का सामूहिक वित्तीय घाटा 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। सुब्बाराव ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से राजस्व में नुकसान और उसके बाद इसकी वजह से बाजार मूल्य आधारित जीडीपी में नुकसान से राजकोषीय घाटा जीडीपी के 10 प्रतिशत तक पहुंचेगा। इसके साथ ही सरकार द्वारा अतिरिक्त कर्ज लेने से यह जीडीपी के 13 से 14 प्रतिशत पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कहीं ऊंचा है और इससे नकारात्मक प्रभाव होंगे। उन्होंने कहा कि घरेलू वित्तीय क्षेत्र दबाव में है। कोविड-19 संकट समाप्त होने तक यह अधिक गहरे वित्तीय दबाव में होगा। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और बंपर कृषि फसल से कुछ राहत मिलेगी।

सुब्बाराव ने कहा कि दुनिया को कुछ समय तक कोरोना वायरस के साथ रहना सीखना होगा। केंद्र और राज्य दोनों इस महामारी पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर चिकित्सा ढांचे और जनसंख्या के ऊंचे घनत्व की वजह से भारत के लिए स्थित और गंभीर है। सुब्बाराव ने कहा कि इसमें किसी तरह की खामी से हमें लाखों जिंदगियों से हाथ धोना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि हम कड़ाई के साथ लॉकडाउन से महामारी पर काबू पाते हैं तो लाखों जीवन बचा सकेंगे।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!