Edited By shukdev,Updated: 28 Mar, 2020 11:28 PM
लॉकडाउन के चौथे दिन शनिवार को देशभर में मजदूरों का अपने-अपने घर के लिए पलायन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने दिखा। केंद्र और राज्य सरकारों ने इससे निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। दिल्ली-एनसीआर का हाल सबसे बुरा है, जहां मजदूर...
नई दिल्ली: लॉकडाउन के चौथे दिन शनिवार को देशभर में मजदूरों का अपने-अपने घर के लिए पलायन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने दिखा। केंद्र और राज्य सरकारों ने इससे निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। दिल्ली-एनसीआर का हाल सबसे बुरा है, जहां मजदूर, रिक्शा चालक और फैक्ट्री कर्मचारी अपने अपने गांव की ओर लौटने के लिए हजारों की तादाद में सड़कों पर जमा हैं। दिल्ली के आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिली।
दूसरे शहरों और राज्यों में फंसे लोग किसी भी कीमत पर अपने घरों को लौटना चाहते हैं। इसके चलते वह अपनी जिंदगी को भी दांव पर लगा रहे हैं। पाबंदी के बावजूद एक मीटर की दूरी बनाए रखना तो दूर सैकड़ों की संख्या में यात्री एक के ऊपर एक बैठकर सफर करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। शनिवार दोपहर कानपुर के नौबस्ता में पुलिस ने जब एक प्राइवेट बस को रोककर उसकी चेकिंग की तो उनके होश उड़ गए। इस स्लीपर बस में ठूसठूस कर यात्री बिठाये गए थे। यहां तक कि बस की छत पर भी यात्री सवार थे। पुलिस ने बस को रोककर सभी यात्रियों की थर्मल टेस्टिंग कराई।
गाजियाबाद से लखनऊ जा रही सवारियों से भरी बस को एसीएम प्रथम ने नौबस्ता बाईपास पर रोका और मेडिकल टीम को सूचना दी। सूचना पर पहुंची मेडिकल टीम यात्रियों की जांच की। पुलिस ने बस से यात्रियों को नीचे उतरवाया तो 120 लोगों को देखकर सभी दंग रह गए। डॉ. आलोक निगम, डॉ. राज बहादुर, डॉ. अजित सहित पांच लोगों की टीम ने यात्रियों का नाम पता व मोबाइल नोट किया।
यात्रियों ने बताया कि बस के अंदर बैठने वालों से एक हजार से बारह सौ रुपए और छत पर बैठने वालों से छह सौ से आठ सौ रुपए किराया वसूला गया है। भीड़ में चलने और यात्री वाहनों पर पाबंदी के बाद भी हाईवे पर सफर करने वालों का नजारा देखने को मिल रहा है। पूरे उत्तर प्रदेश में सभी जिलों की सीमाओं को सील कर दिया गया है। इन सबके बीच अधिक किराया देकर कुछ लोग बसों में भीड़ के बीच सफर करके कोरोना संक्रमण के खतरे को बढ़ावा दे रहे हैं।