Edited By Chandan,Updated: 23 Apr, 2020 08:15 PM
कोरोना वायरस कितना खतरनाक है यह पूरी दुनिया बीते 4 महीनो में समझ चुकी है लेकिन यह कितना ताकतवर है यह अब रिसर्चों से सामने आ रहा है। कोरोना तेजी से अपने रूप में बदलाव करता है और अपने संक्रमण का तरीका भी बदलता रहता है।
नई दिल्ली/डेस्क। कोरोना वायरस कितना खतरनाक है यह पूरी दुनिया बीते 4 महीनो में समझ चुकी है लेकिन यह कितना ताकतवर है यह अब रिसर्चों से सामने आ रहा है। कोरोना तेजी से अपने रूप में बदलाव करता है और अपने संक्रमण का तरीका भी बदलता रहता है।
हालिया शोध में पता चला है कि कोरोना वायरस खून ए द्वारा शरीर के हर हिस्से में मौजूद रक्तवाहिनियों पर हमला कर रहा है। इस बारे में स्विटजरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के शोधर्ताओं दावा किया है। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, कोरोना वायरस शरीर के किसी भी हिस्से में रक्तवाहिनियों को संक्रमित करके पहुंच सकता है।
एंडोथीलियम पर हमला
इस शोध में बताया गया है कि कोरोना वायरस शरीर में रक्तवाहिनीयों की उपरी सतह, एंडोथीलियम पर हमला करता है। ऐसा होने पर बॉडी में ब्लड फ्लो कम होने लगता है और बॉडी के किसी भी एक हिस्से में ब्लड जमने लगता है। इस शोध से यह साफ़ हो जाता है कि कोरोना वायरस सिर्फ बॉडी में फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि पूरे शरीर पर जानलेवा हमला करता है।
ब्लड प्रेशर के मरीजों
शोध की माने तो ब्लड जमने की वजह से ही हाईबीपी और हार्ट डिसीज वाले लोगों को कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है। ऐसे रोगियों को स्पेशल केयर की जरूरत होती है। शोध में यह भी पता चला है कि कोरोना के अब ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिसमें वायरस हार्ट, किडनी, आंत और फेफड़ों तक पहुंच कर खतरनाक बन जाता है।
ऐसे हुई रिसर्च
इस शोध में यह भी सामने आया कि कोरोना वायरस के मरीजों की रक्तवाहिनियों को वायरस नुकसान पहुंचाता है। इसका जिम्मेदार बॉडी में मौजूद एसीई2 रिसेप्टर एंजाइम है जो शरीर के कई अंगों जैसे फेफड़े, धमनी, किडनी और हृदय की कोशिकाओं में पाया जाता है और कोरोना वायरस इसी एंजाइम को जकड़ने के बाद पूरे शरीर में संक्रमण फैलाता है।
पुरानी बीमारी जिम्मेदार
इस शोध की माने तो पहले से जो लोग बीमार होते हैं। उनमें ही कोरोना का खतरा ज्यादा देखने को मिलता है। लाइफस्टाइल के वजह से लोग अक्सर बीपी, हार्ट की बिमारियों, स्मोकिंग, मोटापा और डायबिटीज जैसी बिमारियों से जूझते हैं। जिन लोगों में यह डिजीज होती हैं उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा होता है।