Corona टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टरों ने नहीं किया बुजुर्ग का इलाज, तड़प तड़प कर सड़क पर तोड़ा दम

Edited By Anil dev,Updated: 10 Aug, 2020 11:14 AM

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सरकारी अस्पताल की एक बार फिर लापरवाही सामने आई है, जहां इलाज के अभाव में रविवार को कोरोना संक्रमित 92 वर्षीय एक बुजुर्ग ने प्राइवेट टैक्सी में दम तोड़ दिया। शनिवार देर रात परिजन बुजुर्ग को एक निजी अस्तपाल से रेफर करने के बाद जिला एमएमजी अस्पताल लेकर...

गाजियाबाद(नवोदय टाइम्स): सरकारी अस्पताल की एक बार फिर लापरवाही सामने आई है, जहां इलाज के अभाव में रविवार को कोरोना संक्रमित 92 वर्षीय एक बुजुर्ग ने प्राइवेट टैक्सी में दम तोड़ दिया। शनिवार देर रात परिजन बुजुर्ग को एक निजी अस्तपाल से रेफर करने के बाद जिला एमएमजी अस्पताल लेकर आए, यहां भी इमरजेंसी में किसी डॉक्टर ने नहीं देखा और सुबह तक इमरजेंसी के बाहर ही पड़े रहे। सुबह करीब 6 बजे डॉक्टर ने चेक किया और मृत घोषित कर दिया।  इसके बाद बुजुर्ग के शव को कोरोना प्रतिरोधक बैग में बंद कर एंबुलेंस से हिंडन श्मशान घाट पहुंचवा दिया। यहां अस्पताल कर्मियों ने उन्हें पहनने के लिए पीपीई किट दीं और एंबुलेंस लेकर वहां से चले गए। लेकिन अंतिम संस्कार के दौरान कोई भी स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं रहा। 

बुजुर्ग कल्लू पुरा में रहता था, उसके बेटे ने बताया कि दो दिन पहले उन्हें दस्त व अन्य परेशानी होने पर एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया था। लेकिन शनिवार देर शाम उनका बीपी और शुगर बढ़ गया और उन्हें सांस लेने में भी परेशानी होने लगी। इस पर नर्सिंग होम प्रबंधन ने वहां ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं होने की बात कहते हुए बुजुर्ग को कविनगर स्थित एक निजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। वहां पहुंचने पर अस्पताल स्टाफ ने बुजुर्ग को ऑक्सीजन लगाई गई और उनका कोरोना टेस्ट भी किया जो पॉजिटिव आया। लेकिन रिपोर्ट के कुछ समय बाद ही अस्पताल प्रबंधन ने यहां कोरोना मरीजों का इलाज नहीं होने की बात कह जिला एमएमजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जिसके बाद परिजन बुजुर्ग को रात करीब दो बजे निजी टैक्सी से जिला एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। इमरजेंसी में पहुंचकर इलाज संबंधित पूरी जानकारी वहां मौजूद स्टाफ को दी। 

बेटे का आरोप है कि वहां मौजूद स्टाफ  और डॉक्टर्स ने बुजुर्ग को भर्ती करने से इनकार कर दिया और इमरजेंसी के पीछे बने कोरोना वॉर्ड में ले जाने को कहा। पीछे जाने पर वहां कोई मौजूद नहीं था। इसके बाद वह वापस इमजेंसी में आ गए, परिजनोंं ने भर्ती करने की गुहार लगाई तो उन्हें स्टाफ ने अस्पताल में ही दूसरे स्थान पर भेजा दिया गया। लेकिन किसी डॉक्टर ने बुजुर्ग को नहीं देखा। जिसके बाद वह रात भर यहीं रहे, सुबह डॉक्टर ने चेक करने पर बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया। वहीं सीएमएस की अनुपस्थित में कार्यभार संभाल रहें डा. सुनील कात्याल का कहना है कि परिजन बुजुर्ग को मृत अवस्था में लाए थे। वहीं बुजुर्ग के इमरजेंसी में पहुंचने पर डॉक्टर ने चेक भी किया था। 

नहीं उठा कंट्रोल रूम का फोन
बुजुर्ग के बेटे ने बताया कि जिला अस्पताल में बुुजुर्ग को नहीं देखने पर इमरजेंसी गेट पर लिखा कोरोना कंट्रोल रूम का नंबर भी मिलाया। कंट्रोल रूम में घंटी बजती रही लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद उन्होंने परिचितों को भी मदद के लिए फोन किया।

मामले की कराई जाएगी जांच
वहीं सीएमओ डा. एनके गुप्ता का कहना है कि इमरजेंसी में मरीज को नहीं देखना, यह एक गंभीर मामला है। यदि ऐसा हुआ है इसकी जांच करवाई जाएगी और जांच के बाद दोषी पाएं जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पहले भी बरती जा चुकी है लापरवाही 
ऐेसे पहली बार नहीं हुआ है कि जब किसी मरीज को इलाज के अभाव में अपनी जान गवांनी पड़ी हो, इससे पूर्व रेलवे के एक रिटायर अधिकारी भी पांच दिनों तक शहर के निजी अस्पताल में उपचार के लिए भटकते रहे लेकिन, निजी अपस्पताल ने इलाज नहीं करने पर जिला एमएमजी अस्पताल पहुंचने पर उनकी मौत हो गई। खोड़ा में रहने वाली एक महिला को भी उपचार नहीं मिलने पर जिला अस्पताल पहुंचने पर महिला को मेरठ रेफर किया गया, जहां मेरठ जाते समय एंबुलेंस में उसकी मौत हो गई।

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