कोरोना का डर खत्म होते ही अब अस्पतालों में अधिक संख्या में आने लगे मरीज

Edited By Anil dev,Updated: 24 Sep, 2020 01:47 PM

corona virus lockdown hospital patient

देश में कोरोना वायरस कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस को लेकर लोगों के भय में कमी आने तथा लॉकडाउन खत्म होने के साथ अस्पतालों में अन्य रोगों के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है।

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस को लेकर लोगों के भय में कमी आने तथा लॉकडाउन खत्म होने के साथ अस्पतालों में अन्य रोगों के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। लॉकडाउन की अवधि की तुलना में अब ज्यादातर अस्पतालों में इलाज तथा सर्जरी के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में करीब 50 से 75 फीसदी की बढोतरी देखी जा रही है। नयी दिल्ली स्थित फोटिर्स- एस्कार्टहार्ट इंस्टीट्यूट के ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग के निदेशक डा. राहुल गुप्ता तथा कई अन्य स्वास्थ्य संस्थानों के अनुसार लॉकडाउन लागू होने के बाद कई अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया था और अस्पतालों को मरीजों को भर्ती करने के दौरान कई प्रक्रियाओं को पालन करना पडता था। दूसरी तरफ मरीज भी कोरोना वायरस की चपेट में आने के भय से अस्पताल आने से बच रहे थे और जरूरी इलाज या सर्जरी को भी टाल रहे थे। लेकिन अब अस्पतालों में स्थितियां काफी हद तक बदल गई है।

गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस के फैलने से रोकने के लिए 24 मार्च से लगा लॉकडाउन एक के बाद एक करके चार चरणों में चला। लॉकडाउन लगने के बाद से अस्पतालों में मरीजों को इलाज में काफी दिक्कतें आई। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गत दिवस को लोकसभा में पेश किए गए आंकडों में कोरोना वायरस को लेकर 24 मार्च से लॉकडाउन होने के बाद अस्पतालों में ओपीडी इत्यादि पर काफी असर देखने को मिला। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आम तौर पर एक माह में करीब तीन लाख मरीजों का ओपीडी व आईपीडी (भर्ती) दोनों मिलाकर उपचार होता था। लेकिन 24 मार्च से लेकर अब तक केवल चार लाख एक हजार 506 मरीजों को ही उपचार मिल पाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार इस वर्ष अप्रैल से जून के बीच देश के अस्पतालों में 24 फीसदी कम डिलीवरी हुई हैं जबकि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार देश के अस्पतालों में 23.90 फीसदी महिलाओं की डिलीवरी हुई है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो हास्पीटल के सर्जन डा़ अभिषेक वैश्य ने कहा कि न केवल एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में बल्कि निजी अस्पतालों में भी कमोबेश यही स्थिति रही लेकिन अब स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब हालांकि अस्पतालों में सावधानियां बरती जा रही है लेकिन अब अधिक संख्या में मरीजों को भर्ती किया जा रहा है और सर्जरी की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है।डा़ राहुल गुप्ता ने बताया कि फोटिर्स हास्पीटल में न्यूरो सर्जरी विभाग में पिछले तीन महीनों के दौरान 90 सर्जरी हुई जबकि न्यूरो एवं स्पाइन की समस्याओं से गंभीर रूप से ग्रस्त 170 मरीजों का इलाज किया गया। उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग ने लॉकडाउन लागू होने के बाद भी आवश्यक सेवाएं एवं आवश्यक सर्जरी जारी रखी थी। उन्होंने बताया कि 66 दिन के लॉकडाउन के दौरान 57 इमरजेंसी एवं सेमी-इमरजेंसी सर्जरी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। इस समय हर माह 40 से अधिक प्रक्रियाएं सुरक्षित एवं कारगर तरीके से सम्पन्न होती हैं।

कोविड -19 का संकट अभी कुछ समय और जारी रहने वाला है और इसे ध्यान में रखते हुए अस्पतालों ने स्थाई तौर पर बदलाव किए हैं ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सके और ऐसे में अगर किसी को ऐसी समस्या है जिसके लिए तत्काल इजाज या सर्जरी की जरूरत है तो उन्हें अस्पताल आने या चिकित्सक से संपर्क करने में किसी तरह की देरी नहीं करनी चाहिए। स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन हेमरेज या दुर्घटना होने पर तत्काल अस्पताल आपात स्थिति में भर्ती कराने की आवश्यकता होती है। हालांकि कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनमें टेलीमेडिसिन की मदद ली जा सकती है।

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